20 दिन मे आत्मसमर्पण करें चौटाला
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में आरोपी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री व इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला द्वारा खराब सेहत के बावजूद जींद रैली को संबोधित करने के मामले को लेकर सीबीआइ ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष आपत्ति जाहिर की। सीबीआइ ने आरोप लगाया कि वह चिकित्सीय आधार पर अंतरिम जमानत की अवधि बढ़वा कर उसका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बाद चौटाला की ओर से हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की खंडपीठ के समक्ष कहा गया कि वे 20 दिन के भीतर जेल के समक्ष आत्मसमर्पण कर देंगे। इस पर खंडपीठ ने उन्हें निर्देश दिया है कि वे 17 अक्टूबर को जेल के समक्ष आत्मसमर्पण कर दें।
ज्ञात हो कि 25 सितंबर को हरियाणा के जींद जिले में हुए राजनीतिक रैली को इंडियन नेशनल लोकदल प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला ने संबोधित किया था। चौटाला 3 जून को भाई की मौत के बाद से उसकी अंतिम क्रिया संबंधी कार्यो को लेकर अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आए थे और उसके बाद खराब सेहत की वजह से चिकित्सीय आधार पर उनकी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाई गई थी।
सीबीआइ की स्थायी अधिवक्ता राजदीपा बेहुरा ने कहा कि चौटाला अपनी अंतरिम जमानत का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने खराब सेहत का हवाला देते हुए अपनी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़वाई, मगर उनका स्वास्थ्य बिलकुल ठीक है। यही कारण था कि उन्होंने जींद रैली को संबोधित किया। उनकी सच्चाई सामने लाने के लिए एम्स द्वारा मेडिकल बोर्ड गठित किया जाए और चौटाला के स्वास्थ्य की दोबारा से जांच की जाए।
खंडपीठ ने इस संबंध में ओपी चौटाला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन व अधिवक्ता अमित साहनी से जवाब मांगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में मेडिकल बोर्ड गठित न किया जाए। चौटाला का स्वास्थ्य अभी भी खराब है, हालांकि वे पहले से कुछ स्वस्थ हैं। कुछ दिनों में वे बिलकुल ठीक हो जाएंगे। इसके लिए उन्हें 20 दिन की मोहलत दी जाए। इस अवधि के बाद वे खुद ही जेल के समक्ष आत्मसमर्पण कर देंगे।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1999- 2000 में हरियाणा में हुए जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में 22 जनवरी को रोहिणी कोर्ट ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला व उनके पुत्र अजय सिंह चौटाला और पूर्व आइएएस अधिकारी संजीव कुमार सहित दस लोगों को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में एक आरोपी पुष्करमल वर्मा को पांच साल कैद व 44 आरोपियों को चार-चार साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इस निर्णय को सभी आरोपियों ने हाई कोर्ट के समक्ष चुनौती दी थी। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा हुआ है।