श्रीनिवासन और मोदी को फेमा का नोटिस
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। 2009 में आइपीएल के मैचों के प्रसारण अधिकार देने के ठेके में गड़बड़ी के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के निर्वासित अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और इंडियन प्रीमियर लीग (आइपीएल) के पूर्व कमिश्नर ललित मोदी की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है। 2009 में आइपीएल के मैचों के प्रसारण अधिकार देने के ठेके में गड़बड़ी के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने श्रीनिवासन और ललित मोदी को नोटिस जारी किया है। इन दोनों के अलावा ठेके लेने वाली कंपनियों और उनके अधिकारियों को भी विदेशी मुद्रा प्रबंधन कानून (फेमा) के उल्लंघन का नोटिस भेजा गया है। ईडी ने इन पर 425 करोड़ रुपये फेमा उल्लंघन का आरोप लगाया है।
2015 के आइपीएल के लिए खिलाडि़यों की नीलामी के ठीक पहले जारी नोटिस में ईडी ने आरोपियों को 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है। दरअसल बीसीसीआइ ने वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप (डब्ल्यूएसजी) को 2008 में 91.8 करोड़ डॉलर (लगभग पांच अरब, 71 करोड़ रुपये) में आइपीएल मैचों का 10 साल का मल्टी मीडिया अधिकार दिया था। लेकिन उसी साल डब्ल्यूएसजी ने सोनी को मैचों का आधिकारिक प्रसारक बनाने के लिए मल्टी स्क्रीन मीडिया (एमएसएम) के साथ अलग से सौदा कर लिया। इसके एक साल बाद डब्ल्यूएसजी ने पुराने सौदे की जगह एमएसएम के साथ नौ वर्षीय एक सौदा किया, जिसके तहत एमएसएम ने 1.63 अरब डॉलर (लगभग 101 अरब, 40 करोड़ रुपये) का भुगतान किया।
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इस सौदे में फेमा उल्लंघन का आरोप लगाते हुए ईडी ने कहा कि एमएसएम ने डब्ल्यूएसजी को गैरकानूनी तरीके से 425 करोड़ रुपये सुविधा शुल्क का भुगतान किया था। मजे की बात यह है कि यह सुविधा शुल्क बीसीसीआइ या क्रिकेट से जुड़ी अन्य संस्था के पास न जाकर उस समय के अधिकारियों के खाते में चला गया था। ईडी ने अब इन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। जिन लोगों व संस्थाओं को नोटिस जारी किया गया है, उनमें श्रीनिवासन, ललित मोदी, आइपीएल के मुख्य परिचालन अधिकारी सुंदर रमन के साथ-साथ डब्ल्यूएसजी व एमएसएम के अधिकारी शामिल हैं।