लोढ़ा समिति ने बैठक टालने का आग्रह ठुकराया
लोढ़ा समिति ने बैठक टालने का आग्रह ठुकराया
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति ने अगले छह महीने के अंदर सुधारों को लागू करने के लिए मंगलवार को होने वाली पूर्व निर्धारित बैठक को टालने के भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के आग्रह को नामंजूर कर दिया।
बीसीसीआइ के नव नियुक्त कानूनी सलाहकार पूर्व न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने रविवार को बीसीसीआइ को सलाह दी थी कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बड़ी पीठ के सामने समीक्षा याचिका दायर करे और नौ अगस्त को समिति के साथ पूर्व निर्धारित बैठक नहीं करे। उन्होंने समिति को अमान्य करार दिया था। इसके बाद ही बीसीसीआइ ने बैठक टालने का आग्रह किया था।
लोढ़ा समिति के करीबी सूत्र ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि बीसीसीआइ सचिव अजय शिर्के ने रविवार रात को समिति को पत्र लिखकर उनके और अनुराग ठाकुर के साथ मंगलवार को होने वाली बैठक को स्थगित करने का आग्रह किया। यह आग्रह नामंजूर कर दिया गया है।
माना जा रहा हे कि ठाकुर और शिर्के यदि 11 बजे के प्रस्तावित समय पर समिति से नहीं मिलते हैं तो उन्हें अदालत की अवमानना का सामना करना पड़ सकता है। बीसीसीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बोर्ड 18 जुलाई के फैसले पर स्थगन आदेश लेना चाह रहा है और इसलिए वह जानबूझकर देरी की रणनीति अपना रहा है। प्रधान न्यायधीश टीएस ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआइ खलीफुल्लाह ने यह फैसला दिया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बोर्ड मंगलवार को 11 बजे से पहले तक स्थगन आदेश नहीं ले सकता है जो कि ठाकुर और शिर्के का समिति के सदस्यों के साथ मिलने का समय है। देरी होने से बीसीसीआइ के वकील समीक्षा याचिका दायर करके स्थगन आदेश ले लेंगे, लेकिन न्यायमूर्ति काटजू के हमलावर तेवरों के बाद हम जानते हैं कि खाई बढ़ गई है। अंतरिम रिपोर्ट तैयार करने वाले न्यायमूर्ति काटजू ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले और लोढ़ा समिति की नियुक्ति को असंवैधानिक और गैरकानूनी करार दिया था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की भी आलोचना की थी और कहा कि कानून बनाना न्यायपालिका का नहीं, बल्कि विधायिका का विशेषाधिकार है। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट बाहरी स्नोतों (लोढ़ा समिति) की सेवाएं लेकर बीसीसीआइ को सजा नहीं दे सकता।