टर्निंग ट्रैक पर शिकायत क्यों
दक्षिण अफ्रीकी स्पिनर डीन एल्गर का बयान चौंकाने वाला था। जब उपमहाद्वीप की टीमें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका का दौरा करती हैं तो उस वक्त कोई हाय तौबा नहीं मचाता है। वहां की पिचों पर जमकर घास होती है और वहां खेलने पहुंची उपमहाद्वीप की टीमों से यह अपेक्षा
(वसीम अकरम का कॉलम)
दक्षिण अफ्रीकी स्पिनर डीन एल्गर का बयान चौंकाने वाला था। जब उपमहाद्वीप की टीमें इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका का दौरा करती हैं तो उस वक्त कोई हाय तौबा नहीं मचाता है। वहां की पिचों पर जमकर घास होती है और वहां खेलने पहुंची उपमहाद्वीप की टीमों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे इसके अभ्यस्त बनें। यही नजरिया तब क्यों नहीं कायम रखा जाता जब बाहर की टीमें उपमहाद्वीप के दौरे पर होती हैं। घरेलू परिस्थितियों का फायदा उठाने के मामले में हम पर अंगुलियां क्यों उठती हैं? मैं खतरनाक टर्न लेने वाली पिच का हिमायती नहीं हूं, लेकिन एक अच्छी टेस्ट विकेट चाहता हूं जहां दूसरे दिन के अंत से गेंद को टर्न मिलने लगे।
यदि गेंद पहले ही घंटे से तीन फिट टर्न लेने लगे तो जाहिर है कि इसे अच्छा तो नहीं कहा जाएगा, लेकिन खेल के लिहाज से यह रोमांचक होगा। हम परिणाम की अपेक्षा कर सकेंगे। जिस तरह उपमहाद्वीप के खिलाडि़यों को घसियाली पिच पर खेलने की कला आनी चाहिए, उसी तरह से इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को स्पिन खेलने की अपनी तकनीक पर काम करने की जरूरत है। शिकायत क्यों? यह कोई स्कूल क्रिकेट तो नहीं है। इन सब चीजों से ऊपर उठना होगा। हमेशा बेहतर करने की सोचें, क्योंकि यह टेस्ट क्रिकेट है। क्रिकेटरों का असली टेस्ट।
मोहलाी टेस्ट की बात करें तो यहां अश्विन भारतीय स्टार रहे। वह कुछ भी अतिरिक्त करने की कोशिश नहीं कर रहे थे। वह सिर्फ ऑफ स्पिन गेंद फेंक रहे थे। वह मिडिल और लेग स्टंप की बजाए ऑफ स्टंप पर गेंद फेंक रहे थे। उनका आत्मविश्वास देखने लायक था। उनकी फ्लाइटेड गेंद और स्ट्रेटर को पकड़ पाना बहुत मुश्किल है। वनडे सीरीज में उन्होंने जिस तरह से एबी डिविलियर्स को स्ट्रेटर गेंद पर बोल्ड किया था वह दर्शनीय था। गेंद की गति में अश्विन जो विविधता पैदा करते हैं वह उन्हें एक अच्छा स्पिनर बनाता है।
(टीसीएम)