दक्षिण अफ्रीका को मन से निकालना होगा स्पिन का डर
दूसरे टेस्ट की शुरुआत बेहतरीन हुई और पहले दिन दस विकेट गिरे व तीन रन प्रति ओवर के हिसाब से रन बने। लेकिन बारिश ने इसमें खलल डाल दी। मैच में जो समय नष्ट हुआ है, उससे दक्षिण अफ्रीका से ज्यादा भारतीय टीम को बुरा लग रहा होगा।
(संजय मांजरेकर का कॉलम)
दूसरे टेस्ट की शुरुआत बेहतरीन हुई और पहले दिन दस विकेट गिरे व तीन रन प्रति ओवर के हिसाब से रन बने। लेकिन बारिश ने इसमें खलल डाल दी। मैच में जो समय नष्ट हुआ है, उससे दक्षिण अफ्रीका से ज्यादा भारतीय टीम को बुरा लग रहा होगा।
पहले दिन दक्षिण अफ्रीका ने बेहद खराब बल्लेबाजी की। हालांकि पिच में ऐसी कोई परेशानी नहीं थी। जिस पिच पर आसानी से 400 रन बन सकते हैं, वहां उन्होंने सिर्फ 214 रन बनाए। जब भारतीय बल्लेबाजी कर रहे थे, तब पिच और भी आसान हो गई। इसी वजह से आप सोच सकते हैं भारतीय टीम पहली पारी में विशाल बढ़त हासिल कर सकती है। जब आप पहली पारी में एक अच्छी पिच पर सिर्फ 214 रन बनाकर ऑलआउट हो जाते हैं, तो पूरे टेस्ट मैच में पीछे ही रहते हैं।
दूसरे दिन बारिश एक तरह से दक्षिण अफ्रीका के लिए मददगार साबित हुई। टर्निंग विकेट पर न खेल पाने की क्षमता की वजह से ही दक्षिण अफ्रीकी टीम को विदेशी धरती पर एक महान टीम नहीं माना जा रहा है। वे कई बार टीम इंडिया को भारत में टेस्ट सीरीज में हरा चुके हैं, लेकिन जब भी उन्हें भारत में हार मिली है, तो उसकी वजह टर्निंग पिच ही रही है।
मैं जानता हूं कि यह कहना आसान है, लेकिन बल्लेबाजों को अपने मन से स्पिन खेलने का डर निकालना होगा। जब भी उनके बल्लेबाज अपने आसपास फील्डरों को देखते हैं और एक अच्छा स्पिनर उनके सामने होता है, तो वे थोड़ा घबराए लगते हैं। इस समय उन्हें अपने डिफेंस पर भरोसा करना चाहिए और वह भी क्रीज में रहकर। फाफ डु प्लेसिस की तरह आगे बढ़कर खेलना जोखिम भरा साबित हो सकता है। कदमों का इस्तेमाल करना चाहिए, लेकिन अपनी क्रीज नहीं छोड़नी चाहिए। जब गेंद फुल लैंथ हो, तो फ्रंट फुट पर खेलो और जब शॉर्ट हो तो बैक फुट पर। यह स्पिन को जानने की बात नहीं है, बल्कि गेंद की लैंथ को समझने की बात है ताकि आप जल्दी फैसला ले सकें। बल्लेबाजी की बाकी बातें इसके बाद ही आती हैं।
(पीएमजी)