श्रीलंका को कमजोर आंकने की गलती न करें
वेस्टइंडीज को गए काफी समय बीत गया है और वे अपने अचानक प्रस्थान से पैदा हुए चीजों को ठीक करने की कोशिश में लगे हैं। भारत में कैरेबियाई खिलाडिय़ों के चाहने वालों की कमी नहीं हैं, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने दौरा छोड़ा उससे लोगों को बेहद निराशा हुई। श्रीलंका
(सुनील गावस्कर का कॉलम)
वेस्टइंडीज को गए काफी समय बीत गया है और वे अपने अचानक प्रस्थान से पैदा हुए चीजों को ठीक करने की कोशिश में लगे हैं। भारत में कैरेबियाई खिलाडिय़ों के चाहने वालों की कमी नहीं हैं, लेकिन जिस तरीके से उन्होंने दौरा छोड़ा उससे लोगों को बेहद निराशा हुई। श्रीलंका ने इस रिक्त स्थान की पूर्ति करने के लिए न्योता स्वीकारा और वे भी वेस्टइंडीज के अंदाज में ही रोमांचक क्रिकेट खेलते हैं। श्रीलंकाई खिलाडिय़ों को 'जेंटलमैन क्रिकेटरÓ माना जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम उन्हें कमजोर समझने की भूल करें। मैदान में वे बेहद कड़े प्रतिस्पर्धी साबित होते हैं।
वह लंका की टीम थी, जिसने पारी की शुुरुआत में अनिवार्य क्षेत्ररक्षण प्रतिबंध के दौरान ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की प्रथा डाली। सनत जयसूर्या और रोमेश कालूविदर्णा पहले ओवर से ही गेंदबाजों का कत्ले आम शुरू कर देते थे। अपनी इसी आक्रामक शुरुआत की वजह से श्रीलंका 1996 में विश्व कप जीतने में सफल रही थी। रणतुंगा की कप्तानी में यह टीम कड़े प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरी थी। अब वे ऐसी टीम बन चुके हैं, जिनसे बाकी टीमें भिडऩे में सम्मान महसूस करती हैं। यह बात उन्होंने सभी प्रारूप के फाइनल में बार-बार जगह बनाकर साबित की है। उन्होंने इस साल की शुरुआत में न केवल एशिया कप, बल्कि आइसीसी टी-20 विश्व कप भी जीता था। उसके बाद उन्होंने इंग्लैंड में भी अपने अच्छे प्रदर्शन का सिलसिला जारी रखा।
भारतीयों के लिए महेला जयवर्धने और कुमार संगकारा की जोड़ी को अपने मैदान पर खेलते देखने का यह संभवत: अंतिम मौका होगा। ये दोनों विश्व कप के बाद संन्यास लेने का संकेत दे चुके हैं। 15 साल पहले भारत के खिलाफ दोहरा शतक लगाने के बाद से स्टाइलिश जयवर्धने मेरे पसंदीदा बल्लेबाज रहे हैं। संगकारा भी बायें हाथ के अन्य बल्लेबाजों की तरह शानदार हैं। ये दोनों बल्लेबाज श्रीलंकाई बल्लेबाजी का स्तंभ हैं, लेकिन थरांगा और दिलशान भी किसी गेंदबाजी आक्रमण की बखिया उधेडऩे में सक्षम हैं। दोनों टीमों के लिए यह सीरीज इस मायने में अहम है कि वे अपने दूसरी पंक्ति के खिलाडिय़ों को आजमा रहे हैं। इसमें जो चमकेगा निश्चित तौर पर उसे फरवरी-मार्च में होने वाले विश्व कप में मौका मिल सकता है।
(पीएमजी)