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सुनील गावस्कर ने बताया, जो खिलाड़ी टेस्ट में करता है ये काम वो बनाता है बड़े स्कोर

टेस्ट क्रिकेट में मैच के शुरुआती समय में जो खिलाड़ी कम गेंदें खेलता है उसके बड़ा स्कोर करने की उतनी ही अधिक संभावना होती है। वह खुद को ये समझने का वक्त देता है कि पिच किस तरह का व्यवहार कर रही है।

By Viplove KumarEdited By: Published: Mon, 03 Jan 2022 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jan 2022 10:00 AM (IST)
कप्तान विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा (फोटो ट्विटर पेज)

सुनील गावस्कर। सेंचुरियन में पहले टेस्ट में हमने क्या शानदार शुरुआत देखी। एक ऐसी पिच पर जहां गेंद घरेलू मैदानों की तुलना में ज्यादा उछाल ले रही थी वहां केएल राहुल और मयंक अग्रवाल ने इस बात का अच्छा उदाहरण पेश किया कि किन गेंदों को खेलना चाहिए और किन्हें छोड़ना चाहिए। अगर राहुल के प्रदर्शन में निरंतरता नजर आ रही है तो वह आफ स्टंप की गेंदों को लेकर उनके जजमेंट की वजह से है। यही वो विभाग था जिसकी वजह से वह पिछले कुछ साल से जल्दी आउट हो रहे थे और रन बनाने के लिए जूझ रहे थे।

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जब से इंग्लैंड दौरे पर उन्होंने सही शाट चयन किया तब से उनके बल्ले से भी रन निकल रहे हैं। फिलहाल वह मुरली विजय की तरह नजर आ रहे हैं जो आफ स्टंप के आसपास की गेंदों को छोड़ने के सबसे माहिर खिलाड़ियों में शामिल रहे हैं। टेस्ट क्रिकेट में मैच के शुरुआती समय में जो खिलाड़ी कम गेंदें खेलता है उसके बड़ा स्कोर करने की उतनी ही अधिक संभावना होती है। वह खुद को ये समझने का वक्त देता है कि पिच किस तरह का व्यवहार कर रही है।

इसके बाद पिच की स्विंग और उछाल को देखते हुए ही वह अपनी बल्लेबाजी की दिशा तय करता है। टेस्ट क्रिकेट में रन बनाने के कई अलग-अलग तरीके होते हैं और पारी की शुरुआत व हर ब्रेक के बाद धैर्यपूर्ण तरीके से बल्लेबाजी करने से इसमें काफी मदद मिलती है। पिछले कुछ सत्र में दक्षिण अफ्रीकी टीम की बल्लेबाजी लड़खड़ाती दिखी है। डीन एल्गर और तेंबा बावुमा को छोड़ दें तो बाकी बल्लेबाज ऐसे नहीं दिख रहे हैं जो भारतीय गेंदबाजों के सामने चुनौती बन सकें।

मार्करैम के पास क्षमता है, लेकिन वह अक्सर उसे प्रदर्शन में नहीं बदल पाते, जबकि अन्य खिलाड़ी 30-40 रन या कुछ अर्धशतक बनाने के लिहाज से तो ठीक दिखते हैं, लेकिन ऐसी पारियां न तो आपको टेस्ट मैच जिता सकती हैं और न ही टेस्ट मैच बचा सकती हैं। यही वजह है कि अगर दक्षिण अफ्रीका को जीतना है तो उसे भारतीय टीम को 200 रनों के आसपास रोकना होगा।

वांडरर्स की पिच पर घास नजर आ रही है जो दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाजों की तुलना में भारतीय तेज गेंदबाजी आक्रमण के लिए अधिक मुफीद रहेगी। दोनों टीमों का अंतर बल्लेबाजी होगी और इस विभाग में भारतीय टीम के पास दक्षिण अफ्रीका की तुलना में अधिक महारथ है। अगर मेहमान टीम वांडरर्स के मैदान पर सीरीज जीत लेती है तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा।  


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