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Chhattisgarh Assembly Election: सीएम रहते हुए अगर किसी ने किया इस जगह का दौरा, उसकी हार तय! जानें पूरा मामला

छत्‍तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले की अकलतरा नगर पालिका को लेकर यह मिथक प्रचलित है कि अगर कोई मुख्‍यमंत्री रहते हुए वहां जाता है तो वह चुनाव हार जाता है। ऐसे में सीएम बघेल वहां जाते हैं या नहीं इस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।

By Arijita SenEdited By: Published: Mon, 14 Nov 2022 12:56 PM (IST)Updated: Mon, 14 Nov 2022 12:56 PM (IST)
Chhattisgarh Assembly Election: सीएम रहते हुए अगर किसी ने किया इस जगह का दौरा, उसकी हार तय! जानें पूरा मामला
छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे सीएम बघेल

रायपुर, जागरण आनलाइन डेस्‍क। इंसान के मन में तमाम तरह की धारणाएं रहती हैं, कई जगहों को लेकर अलग-अलग तरह की मान्‍यताएं रहती हैं, जिसे लोग शिद्दत से मानते हैं। इसके पीछे वजह है कुछ नुकसान होने का डर। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के नोएडा (Noida) के बारे में भी एक अजीबोगरीब मिथक प्रचलित था कि वहां जो भी पदासीन मुख्यमंत्री जाता है वह अगला चुनाव हार जाता है।

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हालांकि, प्रदेश के वर्तमान मुखिया योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने वहां का दौरा कर इस मिथक को तोड़ दिया है। कुछ ऐसा ही मिथक छत्‍तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जांजगीर चांपा जिले (Janjgir Champa District) की अकलतरा नगर पालिका (Akaltara Municipality) को लेकर भी प्रचलित है कि जो सीएम यहां आते हैं उन्हें दोबारा कुर्सी नहीं मिलती है।

छत्‍तीसगढ़ में अगले साल चुनाव

छत्‍तीसगढ़ में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) भेंट मुलाकात कार्यक्रम (Bhent Mulaqat Karyakram) के तहत  सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। अकलतरा भी विधानसभा क्षेत्र है। मुख्यमंत्री जिले की अन्य सीटों तक पहुंचे हैं, लेकिन अकलतरा का कार्यक्रम अब तक नहीं बना है। ऐसे में सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि वे अकलतरा मुख्यालय आएंगे या नहीं।

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अकलतरा आने के साथ कई को खोनी पड़ी कुर्सी 

मालूम हो कि वर्ष 1958 में अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू (Kailashnath Katju) यहां आए थे। इसके बाद वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बने। इसके बाद वर्ष 1973 में मुख्यमंत्री प्रकाशचंद सेठी (Prakash Chand Sethi) का यहां आगमन हुआ, वह भी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन सके। फिर वर्ष 2002 में अजीत जोगी (Ajit jogi) मुख्यमंत्री रहते हुए आए तो उन्‍हें भी दोबारा न तो मुख्‍यमंत्री की कुर्सी हासिल हुई और न ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई।

कई मुख्‍यमंत्रियों ने आने से किया परहेज

सीएम जोगी से पहले मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने भी 29 सालों तक अकलतरा आने से परहेज किया था। छत्तीसगढ़ क्षेत्र से दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पं. श्यामाचरण शुक्ल (Pandit Shyamacharan Shukla), अर्जुन सिंह (Arjun Singh), सुंदरलाल पटवा (सुंदरलाल पटवा), दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और फिर डा. रमन सिंह (Dr. Raman Singh) ने भी 15 सालों में एक बार भी अकलतरा नगर में कदम नहीं रखा।

2018 के चुनावी अभियान में अकलतरा से लगी पंचायत तरौद चौक में वे जरूर पहुंचे, लेकिन अकलतरा में कदम नहीं रखा। बहरहाल, उसके बाद भाजपा सत्ता से बाहर हो गई।

इन उदाहरणों को पेश करते हुए स्थानीय नेता भी मुख्यमंत्रियों को यहां नहीं आने को लेकर आगाह करते हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रवि सिसोदिया ने बताया कि अकलतरा शहर को लेकर यह मिथक वर्षों से है। हालांकि पूरे विधानसभा क्षेत्र के लिए ऐसी धारणा नहीं है।

सीएम बघेल अकलतरा आएंगे या नहीं

नगर पालिका के पूर्व व कांग्रेस नेता मोहम्मद इमरान खान ने बताया कि अकलतरा को लेकर इस मिथक के बारे में वह भी बचपन से सुनते आ रहे हैं कि यहां आने वाले मुख्यमंत्री दोबारा इस पद पर वापसी नहीं करते। चूंकि भूपेश बघेल सभी विधानसभा क्षेत्र में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के तहत पहुंच रहे हैं। ऐसे में अब अकलतरा विधानसभा क्षेत्र के अलावा जिले वासियों की नजर इस पर भी है कि मुख्यमंत्री भेंट मुलाकात में अकलतरा आएंगे या नहीं ।

चाय पीने उतरे और मुख्यमंत्री रहते हुए हारे विधानसभा

कैलाश नाथ काटजू 1957 में दूसरी बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। इसी दौरान वह ट्रेन से रायगढ़ जा रहे थे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अकलतरा स्टेशन के प्लेटफार्म में उनका स्वागत किया। वह बस चाय पीने के लिए यहां उतरे फिर रायगढ़ रवाना हो गए। इसके बाद अगला विधानसभा चुनाव वह मुख्यमंत्री रहते हुए भी हार गए। हालांकि नरसिंहगढ़ रियासत के राजा भानुप्रताप सिंह ने अपनी सीट खाली कर उन्हें वहां से विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा और उपचुनाव में वह विधानसभा सीट जीत गए, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन सके।

नोएडा की भी ऐसी ही कहानी थी, योगी ने तोड़ा मिथक

उत्तर प्रदेश के नोएडा के बारे में प्रचलित था कि जो भी मुख्यमंत्री वहां जाता है वह दोबारा सत्ता में नहीं आता है। इस अंधविश्वास के चलते 2017 तक 29 वर्षों में सिर्फ मायावती (Mayawati) ही नोएडा गई थीं। वह 2011 में मुख्यमंत्री रहते हुए नोएडा गईं और 2012 में चुनाव हार गईं।

अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) मुख्यमंत्री रहते हुए कभी नोएडा नहीं गए और अगर गए भी हेलीकॉप्‍टर से नीचे नहीं उतरे। दिसंबर 2017 में मुख्यमंत्री रहते हुए योगी आदित्यनाथ नोएडा गए और बता दिया कि भले ही वह पूजा पाठ करते हैं, लेकिन अंधविश्‍वास से उनका कोई नाता नहीं है। योगी आदित्यनाथ इसके बाद 20 बार नोएडा गए। फिर 2022 का चुनाव जीतकर दोबारा मुख्यमंत्री भी बने।

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