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बेहद मजबूत है भारतीय बैंकों का आधार, Global Banking Crisis का कोई असर नहीं

Global Banking Crisis पश्चिमी देशों में एक बाद एक बैंकों के डूबने के मामले सामने आ रहे हैं। इस स्थिति को देखते जानकारों का कहना है कि भारतीय बैंक की स्थिति काफी मजबूत है और इसका कोई खास असर नहीं होगा। (फाइल फोटो)

By Abhinav ShalyaEdited By: Abhinav ShalyaPublished: Tue, 21 Mar 2023 08:53 AM (IST)Updated: Tue, 21 Mar 2023 09:56 AM (IST)
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नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Silicon Valley Bank के डूबने के बाद अमेरिकी और यूरोपीय बैंकों पर आए संकट के बीच विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक वित्तीय बाजारों में उठापटक का भारतीय बैंकों पर कोई असर नहीं होगा।

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विश्लेषकों की ओर से ये टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब पश्चिमी देशों को तीन बैंक डूब चुके हैं और एक बैंक को बचाने के लिए रेगुलेटर्स ने कड़े फैसले लिए हैं। इस बैंकिंग क्राइसिस को देखते हुए पिछले हफ्ते आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि भारतीय बैंकिग व्यवस्था स्थिर और मजबूत है।

भारतीय बैंक सिस्टम मजबूत

समाचार रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विश्लेषकों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में भारतीय बैंकिंग सिस्टम में खराब लोन की संख्या में तेजी से कमी आई है और पूंजी भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। इस कारण वैंश्विक बैंकिंग व्यवस्था में हो रही उथल-पुथल का भारत पर असर नहीं होगा।

कितना है भारतीय बैंकिंग सिस्टम में लचीलापन?

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ओर से जारी की जाने वाली रिसर्च रिपोर्ट इकोरैप (Ecowrap) के मुताबिक फॉरेन क्लेम के मामले में भारतीय बैंकिंग सिस्टम में लचीलापन है। यूके और यूएस के मुकाबले फॉरेन क्लेम की संख्या भारत पर काफी कम है, जिस कारण किसी बैंकिंग क्राइसिस का भारत पर प्रभाव काफी कम होगा।

यूएस पर काउंटरपार्टी आधार पर 4,345 अरब डॉलर और गारंटर आधार पर 4,296.3 अरब डॉलर के फॉरेन क्लेम है, जबकि यूके पर काउंटरपार्टी आधार पर 4,039.3 अरब डॉलर और गारंटर आधार पर 4,032.1 अरब डॉलर के फॉरेन क्लेम है। वहीं भारत पर काउंटरपार्टी आधार पर 104.2 अरब डॉलर और गारंटर आधार पर 81.5 अरब डॉलर के फॉरेन क्लेम है।

क्या भारतीय बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी है?

रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के यस बैंक पर संकट आने के बाद भारतीय बैंकिंग सिस्टम में बड़ा बदलाव हुआ है। खराब लोन को समाप्त किया गया है, जबकि बैंकों ने पूंजी जुटाई है।

आरबीआई के मुताबिक, किसी भी बैंक का सीआरएआर कम से कम 9 प्रतिशत होना चाहिए। सितंबर तिमाही के समाप्त होने तक यह 16 प्रतिशत था।

भारतीय बैंक की संपत्ति की गुणवत्ता कैसी है?

भारत बैंका का एनपीए पिछले पांच सालों में आधे से भी कम हो गया है। सितंबर 2018 में ये 10.8 प्रतिशत था, जबकि मार्च 2022 में ये घटकर 5.9 प्रतिशत और सितंबर 2022 में 5 प्रतिशत पर आ गया।

भारत में डिपॉजिट इंश्योरेंस कितना है?

भारत में पिछले तीन सालों में दो बैंकों को संकटों का सामना करना पड़ा है। इस कारण सरकार की ओर से डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को बढ़ाकर 5,00,000 रुपये कर दिया गया है,जो कि पहले 1,00,000 रुपये था।

 


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