इस शख्स ने लिया था देश का पहला Home Loan, इस बैंक ने दिए थे सिर्फ 30 हजार; ऐसे शुरू हुई थी होम लोन की कहानी
भारत में होम लोन की शुरुआत एक यादगार कहानी है। पहले होम लोन के तौर पर एक व्यक्ति को एक विशेष बैंक ने 30,000 रुपये दिए थे। इस लोन ने भारत में होम लोन के क्षेत्र में क्रांति ला दी और अन्य बैंकों को भी प्रेरित किया। इसने आम लोगों को घर खरीदने का सपना साकार करने का मौका दिया।

इस शख्स ने लिया था देश का पहला Home Loan, इस बैंक ने दिए थे सिर्फ 30 हजार; ऐसे शुरू हुई थी होम लोन की कहानी
नई दिल्ली। आज के समय में होम लोन आसानी से मिल जाता है। लेकिन एक समय वह भी था जब भारत में इस नाम की कोई चीज नहीं थी। लेकिन भारत का बैंकिंग सिस्टम बहुत पुराना था। लोन तो मिला करता था। लेकिन घर बनाने के लिए नहीं। 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की स्थापना के साथ ही भारतीय बैंकिंग प्रणाली केंद्रीकृत हो गई। इससे पहले, प्रेसीडेंसी बैंक और उनके उत्तराधिकारी अर्ध-केंद्रीय बैंकों के रूप में कार्य करते थे।
1969 में 14 प्रमुख बैंकों और 1980 में छह और बैंकों के राष्ट्रीयकरण के साथ बैंकिंग सिस्टम में एक नई शुरुआत हुई। लेकिन 1970 के दशक में भी भारत के बैंकिंग सिस्टम में होम लोन जैसी कोई चीज नहीं थी। उस समय HDFC होम लोन बाजार में एकमात्र संगठित कंपनी थी। आइए जानते हैं कि भारत में सबसे पहला होम लोन किस शख्स ने लिया था?
भारत में किसने लिया था सबसे पहला होम लोन?
डी बी रेमेडियोस, एचडीएफसी के पहले कर्जदार थे, जो होम लोन बाजार में पहली संगठित कंपनी थी। रेमेडियोस ने 1978 में 10.5 प्रतिशत की स्थिर ब्याज दर पर 30,000 रुपये का कर्ज लिया था। यह रकम मुंबई के मलाड में घर बनाने पर खर्च किए गए 70,000 रुपये की कुल रकम के आधे से भी कम थी।
1994 तक होम लोन की ब्याज दरें लगभग 11-14% थीं। होम लोन उधारकर्ता की औसत आयु लगभग 42 वर्ष थी और लोन की औसत राशि 39,000 थी। इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक ने बड़े पैमाने पर बाजार में प्रवेश किया और टीजर दर की अवधारणा पेश की। CASA (चालू खाता बचत खाता) जमाओं के उच्च अनुपात के कारण वे ऐसा कर सकते थे। अन्य बैंकों को यह लाभ नहीं मिला। उन्होंने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए हाई लोन वैल्यू (LTV) अनुपात बनाए रखने जैसे उपायों का सहारा लिया।
आज, ज्यादातर उधारकर्ता न्यूनतम खरीद राशि का 65-80 प्रतिशत चाहते हैं। आवास वित्त नियामक, राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा निर्धारित सीमा के बावजूद, कुछ लोग इससे भी अधिक पैसा लोन के रूप में चाहते हैं।
2002 में बैंकों को मिला ये अधिकार
2002 से पहले, होम लोन चूक से निपटने के लिए कोई नियम नहीं थे। एक मजबूत कानून की जरूरत थी। 2002 में वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्निर्माण तथा प्रतिभूति हित प्रवर्तन अधिनियम (SARFAESI) लागू होने से बैंकों को होम लोन से निपटने का अधिकार मिल गया। इस अधिनियम ने बैंकों को होम लोन क्षेत्र में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

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