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    अपनी स्टूडेंट से किया प्यार और की शादी, साथ खोला बिजनेस; फिर कैसे बर्बाद हुई PhysicsWallah की कॉम्पिटिटर Byju's

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 01:47 PM (IST)

    आज भारत में डिजिटल शिक्षा आगे बढ़ रही है, लेकिन कभी बायजू ही इस क्षेत्र का बादशाह था। शाहरुख खान जैसे सितारों ने इसका प्रचार किया। बायजू रवींद्रन और दिव्या गोकुलनाथ ने इसकी शुरुआत की। एक समय छात्र-शिक्षक रहे, फिर जीवनसाथी बने। कोविड काल में कंपनी ने खूब तरक्की की, लेकिन फिर वित्तीय गड़बड़ियों के कारण इसका पतन हो गया। मार्केटिंग पर अंधाधुंध खर्च भी एक कारण रहा।

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    नई दिल्ली। आज भारत में डिजिटल एजुकेशन एक नई उड़ान ले चुका है। लेकिन एक समय था जब इस क्षेत्र में कोई नहीं था। इक्का दुक्का प्लेयर ही डिजिटल एजुकेशन के बादशाह थे। भारत की डिजिटल एजुकेशन को नई उड़ान देने वाला सबसे बड़ा खिलाड़ी था Byju's। ये वही Byju's है जिसका प्रचार शाहरुख खान किया करते थे। ये वही है जो कभी इंडियन क्रिकेट टीम का लीड स्पॉन्सर हुआ करता था। ये वही एडटेक कंपनी है, जिसने 2022 में कतर में हुए फीफा विश्व कप को स्पॉन्सर किया था। ये वही है जिसने 2022 में अपने "एजुकेशन फॉर ऑल" अभियान के लिए लियोनेल मेसी को वैश्विक ब्रांड एंबेसडर के रूप में साइन किया था। ये वही है जो आज कहीं नहीं है। इसकी नेटवर्थ जीरो हो गई है। क्यों नहीं है, क्या थी इसकी कहानी. किसने इसे शुरू किया और कैसे हुआ इसका पतन? इन सबकी होगी बात आज इस आर्टिकल में।

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    ऐसे शुरू हुई थी बायजू रवींद्रन की प्रेम कहानी

    एक समय की भारत की सबसे बड़ी एडटेक कंपनी रही बायजू को बायजू रवींद्रन और दिव्या गोकुलनाथ ने शुरू किया था। दोनों ने मिलकर 2011 में इसकी शुरुआत की थी। जब दोनों ने मिलकर इस कंपनी की शुरुआत की तब तक दोनों पति-पत्नी बन चुके थे। कभी इनका रिश्ता छात्र और शिक्षक का था। बायजू रवींद्रन टीचर थे और दिव्या गोकुलनाथ उनकी छात्रा थीं। लेकिन दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे और प्यार रिश्ते में बदल गया।

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    कहते हैं सभी प्रेम कहानियां अपने आप में अनोखी होती हैं और BYJU'S के सह-संस्थापक, बायजू रवींद्रन और दिव्या गोकुलनाथ के बीच की कहानी भी कुछ अलग नहीं है।

    बायजू रवींद्रन का जन्म 1980 में केरल के अझिकोड नामक एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता रवींद्रन भौतिकी के शिक्षक थे और उनकी मां शोभनवल्ली गणित पढ़ाती थीं। बायजू ने अपनी स्कूली शिक्षा एक मलयालम माध्यम के स्कूल से की। पढ़ाई में अव्वल होने के अलावा, स्कूल और कॉलेज के दिनों में उन्हें खेलों में भी रुचि थी।

    कालीकट विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद, बायजू ने ब्रिटेन स्थित शिपिंग कंपनी, पैन ओशन में सर्विस इंजीनियर के रूप में काम किया। 2003 में काम से ब्रेक के दौरान, उन्होंने कैट परीक्षा (आईआईएम में प्रवेश के लिए कॉमन एप्टीट्यूड टेस्ट) दी और 100 पर्सेंटाइल अंक प्राप्त किए। अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए, उन्होंने दोबारा परीक्षा दी और अपने अंकों को दोहराया।

    अंततः, उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ दी और इस करियर को अपना लिया। 2007 में, उन्होंने बायजूज क्लासेस नाम से एक ब्रांड शुरू किया। इसके दो साल बाद, 2009 में, उन्होंने वीसैट के माध्यम से कैट के लिए वीडियो-आधारित शिक्षण शुरू किया।

    बायजू रविंद्रन की पत्नी दिव्या गोकुलनाथ का जन्म 1987 में बेंगलुरु में हुआ था। उनके पिता अपोलो अस्पताल में नेफ्रोलॉजिस्ट हैं, जबकि उनकी मां दूरदर्शन में प्रोग्रामिंग एक्जीक्यूटिव थीं। दिव्या ने अपनी स्कूली शिक्षा फ्रैंक एंथनी पब्लिक स्कूल से की। इसके बाद, उन्होंने बेंगलुरु के आरवी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बायोटेक्नोलॉजी में बीटेक किया।

    जैसे ही दिव्या ने बायजू से कोचिंग क्लासेस लेना शुरू किया, वह बायजू के पढ़ाने के तरीके से बहुत प्रभावित हुईं। फिर धीरे-धीरे वह उनके करीब आतीं गईं।

    बायजू रवींद्रन एक इंटरव्यू में कहते हैं, "मैं हमेशा ऐसे ही ऑडिटोरियम या इससे भी बड़े स्टेडियम में पढ़ाता था, इसलिए किसी ख़ास छात्रा पर ध्यान देना बहुत मुश्किल होता है। दिव्या रुककर बहुत सारे सवाल पूछती थी, इसलिए उस पर ध्यान जाता था और मुझे नहीं पता कि यह कब बदल गया और हम जीवनसाथी बन गए।"

    2011 में रखी थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड की नींव

    बायजू और दिव्या ने मिलकर 2011 में ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में विस्तार करने के लिए थिंक एंड लर्न प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की और 2015 में बायजू लर्निंग ऐप लॉन्च किया, जो भारत और अंततः दुनिया भर के छात्रों को व्यक्तिगत, वीडियो-आधारित शिक्षा प्रदान करके एडटेक उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया।

    2018 में BYJU'S बनी भारत की पहली एडटेक यूनिकॉर्न

    बायजू को ने अगस्त 2015 में आरिन कैपिटल और टी वी मोहनदास पई जैसे निवेशकों से एक सीड राउंड फंडिंग जुटाई। तब से कंपनी ने सिकोइया कैपिटल, प्रोसस, चैन जकरबर्ग इनिशिएटिव और ब्लैकरॉक सहित कई निवेशकों से वेंचर कैपिटल (सीरीज ए, बी, सी, आदि), प्राइवेट इक्विटी और डेट फंडिंग राउंड के माध्यम से धन जुटाया है। उल्लेखनीय फंडिंग राउंड में मार्च 2016 में $75 मिलियन की सीरीज ए, मार्च 2022 में $800 मिलियन की सीरीज़ एफ और नवंबर 2021 में $1.2 बिलियन की डेट फाइनेंसिंग शामिल है।

    2015 में इन्होंने ऑनलाइन मोड में तेजी से ग्रो करने के लिए मार्केटिंग पर काम करना शुरू कर दिया। 2016 में 145 मिलियन डॉलर और 2017 में 70 मिलियन डॉलर और 2018 में इसकी वैल्यूएशन 1 बिलियन डॉलर पहुंच गई और यह भारत की पहली एडटेक यूनिकॉर्न बन गई।

    ऐसे शुरू हुआ BYJU'S का पतन

    कोविड काल में इसने तेजी से ग्रो किया। 2017 से लेकर 2021 तक बायजू ने 17 अलग-अलग एडटेक कंपनियों को खरीद लिया। यानी उनका अधिग्रहण कर लिया। कंपनी आगे बढ़ रहा और बढ़ रहा था उसका खर्चा। खर्चा इतना बढ़ रहा था कि उसके बावजूद उसने मार्केटिंग कॉस्ट कम नहीं की। कोविड सेक्टर में इतना बूम आया की जहां एक तरफ कॉलेज और विश्वविद्यालयों में ताला लगा था तो दूसरी ओर बायजू चल रहा था और लाखों विद्यार्थी यहां पढ़ रहे थे। 2019 में बायजू टीम इंडिया की लीड स्पॉन्सर बनी और 2020 में इसने व्हाइट हैट जूनियर को खरीद लिया। इसके लिए उसने करीब 300 मिलियन डॉलर की रकम अदा की।

    बायजू की 2021 की आय रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया कि कंपनी का व्यवसाय पिछले कुछ समय से लाभ में नहीं था। पिछले वर्ष कंपनी को लगभग 550 मिलियन डॉलर का भारी नुकसान हुआ था।

    मुनाफे में वास्तविक वृद्धि के अभाव में, बायजू को फंड रेज करने के लिए एक और राउंड की फंडिंग पर निर्भर होना पड़ा। मार्च 2022 में, कंपनी ने घोषणा की कि उसने रविंद्र के व्यक्तिगत योगदान और तीन निवेश कंपनियों से नए वित्तपोषण के माध्यम से कुल 800 मिलियन डॉलर जुटाए हैं, जिससे कंपनी का मूल्यांकन 22 बिलियन डॉलर हो गया है।

    मार्च 2023 में, ऋणदाताओं ने बायजू की अमेरिकी सहायक कंपनी, अल्फा इंक, के प्रमुख को हटाकर एक नया निदेशक नियुक्त किया। फरवरी 2024 में, अल्फा ने दिवालियापन के लिए आवेदन किया। ऋणदाताओं ने बायजू की मूल कंपनी, थिंक एंड लर्न, पर दिवालियापन अदालत में मुकदमा दायर किया।

    बायजू पर आरोप लगाया गया कि 1.2 अरब डॉलर के लोन में से 53.3 करोड़ डॉलर कैमशाफ्ट कैपिटल फंड में गबन कर दिए गए, जो एक हेज फंड था और कभी मियामी स्थित इंटरनेशनल हाउस ऑफ पैनकेक्स रेस्टोरेंट के पते पर पंजीकृत था। कैमशाफ्ट का संचालन एक 23 वर्षीय युवक कर रहा था, जिसके पास कोई शैक्षिक या व्यावसायिक अनुभव नहीं था, और जिसने कथित तौर पर धन का एक हिस्सा फेरारी, एक लेम्बोर्गिनी और एक रोल्स-रॉयस पर खर्च किया था। फरवरी 2025 में, अदालत ने इस आरोप को सही ठहराया कि अल्फा इंक ने 1.2 अरब डॉलर के ऋण से कैमशाफ्ट को धोखाधड़ी से धन हस्तांतरित (Fund Transfer) किया था, जो वास्तव में चोरी थी।

    मार्केटिंग में जमकर उड़ाया पैसा

    लिंक्डइन और इंक42 की रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021 में, बायजू ने मार्केटिंग पर लगभग ₹2,250.94 करोड़ खर्च किए, जो उस वर्ष उसके ₹2,428 करोड़ के रेवेन्यू के लगभग बराबर था। इस खर्च में आईपीएल और फीफा विश्व कप जैसे हाई-प्रोफाइल प्रायोजन और शाहरुख खान व लियोनेल मेसी जैसी हस्तियों के विज्ञापन शामिल थे। 

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