कितना मिल सकता है आपकी सैलरी पर होम लोन? कैसे करें पता; कोई बैंक नहीं देगा ये जानकारी
आज के जमाने में घर लेना सिर्फ सपना ही नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी भी है। बढ़ती महंगाई के कारण अपनी मनचाही जगह घर लेना बहुत मुश्किल है। इसलिए होम लोन (Home Loan) का सहारा लेना पड़ता है। होम लोन लेने से पहले अक्सर मन में ये कन्फ्यूजन रहती है कि जितनी हमारी सैलरी है, उसके अनुसार हमें मनचाहा लोन मिलेगा या नहीं?
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नई दिल्ली। आज घर लेना सपना ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी भी है। बड़े शहरों में किराए के मकान में रहकर अन्य खर्चों को मैनेज करना मुश्किल है। इसलिए लोग खुद का घर लेना ही बेस्ट समझते हैं। होम लोन (Home Loan) का चलन शहरी इलाकों में काफी ज्यादा है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि कई लोग काम के सिलसिले में बड़े शहरों में आकर बस गए। अब किराए से छुटकारा पाने के लिए आज शहरों में अपना मकान ले रहे हैं। लेकिन बढ़ती महंगाई में खुद की सेविंग से घर लेना काफी मुश्किल है। इसलिए लोग होम लोन का सहारा लेते हैं।
होम लोन लेने से पहले हर कोई यही सोचता है कि क्या हमें मनचाहा लोन मिल जाएगा। आज हम जानेंगे कि बैंक कैसे तय करता है कि उधारकर्ता को कितना लोन देना है या सैलरी के हिसाब से आपको बैंक कितना लोन दे सकता है?
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ईएमआई/एनएमआई रेश्यो
ईएमआई या एनएमआई रेश्यो ये बताता है कि आपकी सैलरी का कितना हिस्सा लोन पेमेंट में जा रहा है। पैसा बाजार के मुताबिक बैंक ऐसे आवेदनकर्ता को प्राथमिकता देता है, जिनका ईएमआई रेश्यो कम हो। ज्यादातर बैंकों में ये रेश्यो की लिमिट 50 से 55 फीसदी रखी गई है।
अगर आपका रेश्यो ज्यादा आ रहा है, तो आप लोन अवधि को बढ़ाकर इसे कम कर सकते हैं। आपकी लोन अवधि जितनी ज्यादा होगी, आपको उतना ही कम अमाउंट हर महीने भुगतान करना होगा।
ब्याज करें चेक
लोन ब्याज जितना कम होगा, उतना ही आपका हर महीने जाने वाला ईएमआई भी कम हो जाएगा। इसके साथ ही आपको कम ब्याज होने से आप ज्यादा अमाउंट में लोन भी ले सकते हैं।
मल्टीप्लायर तरीका
कई बैंक लोन लेते वक्त मल्टीप्लायर तरीके के जरिए भी लोन अमाउंट तय करते हैं। आपकी हर महीने की सैलरी को 72 से गुणा किया जाता है। जो अमाउंट आता है, उसी अमाउंट तक का लोन आपको ऑफर किया जाता है। उदाहरण के लिए जैसे मान लीजिए आपकी महीने की सैलरी 30 हजार रुपये है, तो आपको 21,60,000 रुपये (महीने की सैलरी 30,000x72) तक का लोन ऑफर किया जा सकता है।
एलटीवी रेश्यो
एलटीवी रेश्यो के जरिए ये पता लगाया जाता है कि व्यक्ति ने प्रॉपटी का कितना हिस्सा लोन के जरिए दिया है। इस रेश्यो को निकालने के लिए लोन अमाउंट को प्रॉपर्टी की वैल्यू से विभाजित किया जाता है और इसे 100 से गुणा किया जाता है।
ये जितना ज्यादा होगा, व्यक्ति के लिए जोखिम उतना ही बढ़ जाएगा।
कुछ और फैक्टर्स भी लोन देते वक्त ध्यान में रखें जाते हैं जैसे आवेदनकर्ता की उम्र, इनकम कितनी है, क्रेडिट स्कोर और व्यक्ति क्या काम करता है इत्यादि।

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