नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जब कभी भी हम स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (Health Insurance Policies) लेने के लिए जाते हैं तो हमें दो तरह की पॉलिसी के बारे में बताई जाती है। पहला व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी और दूसरा ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी। सामने से देखने पर इन दोनों में ज्यादा अंतर नहीं दिखाई पड़ता है, लेकिन जब हम इसका क्लेम करते हैं तो इसमें अंतर दिखाई पड़ता है। पर सवाल है कि स्वास्थ्य बीमा से जुड़ी दोनों पॉलिसियों के क्लेम में इतना अंतर क्यों है?
एक सीधे से अंतर के बारे में बात करें तो क्लेम सेटल करने की कोशिश करते समय व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी अक्सर बीमा कंपनी के पास जाना पड़ता है, लेकिन जो लोग ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी का हिस्सा हैं, उन्हें ये समस्या नहीं होती है। इसके अलावा भी इसमें और भी अंतर हैं। चलिए इन बीमा पॉलिसियों के बारे में जानते हैं।
वेटिंग पीरियड
व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी और ग्रुप बीमा पॉलिसी में क्लेम के समय सबसे पहला अंतर जो दिखाई पड़ता है वो है क्लेम के बाद वेटिंग पीरियड। व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में सामान्य स्थिति में ये 30 से 90 दिनों तक हो सकती है और वेटिंग पीरियड समाप्त होने तक कुछ खास बीमारियों को कवर तक नहीं किया जाता है। खास तरह की बीमारियों में वेटिंग पीरियड एक साल से लेकर चार साल तक जा सकती है।
पॉलिसी सब-लिमिट
पॉलिसी सब-लिमिट व्यक्तिगत और ग्रुप दोनों तरह की बीमा पॉलिसियों में होती है, लेकिन लागू करने का तरीका अलग है। एक व्यक्तिगत पॉलिसी में पॉलिसी सब-लिमिट कैप आमतौर पर बीमित राशि से जुड़ी होती हैं, जबकि ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी में ऐसा नहीं होता।
पहले से मौजूद बीमारियां
व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी में उच्च रक्तचाप जैसी स्थिति पॉलिसी जारी होने से पहले मौजूद थी, तो दावा केवल प्रतीक्षा अवधि समाप्त होने के बाद ही कवर किया जा सकता है। वहीं, ज्यादातर ग्रुप पॉलिसी में सभी वेटिंग पीरियड में छूट दी जाती है। इसका अर्थ है कि ग्रुप पॉलिसी के लिए जांच आवश्यक नहीं है।