इलाके के हिसाब से करवाएं कृषि बीमा
-भारत में कृषि बीमा की मौजूदा स्थिति क्या है? भारत में कृषि बीमा का प्रचलन अस्सी के दशक से ही है, लेकिन अभी तक यह कमोबेश सरकारी कंपनियों के हाथ में ही था। पिछले दस वर्षो के दौरान तो कृषि बीमा को लेकर काफी प्रयोग किए गए हैं। आज दो तरह के कृषि बीमा उत्पाद उपलब्ध हैं- राष्ट्री
-भारत में कृषि बीमा की मौजूदा स्थिति क्या है?
भारत में कृषि बीमा का प्रचलन अस्सी के दशक से ही है, लेकिन अभी तक यह कमोबेश सरकारी कंपनियों के हाथ में ही था। पिछले दस वर्षो के दौरान तो कृषि बीमा को लेकर काफी प्रयोग किए गए हैं। आज दो तरह के कृषि बीमा उत्पाद उपलब्ध हैं- राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना व राष्ट्रीय फसल बीमा कार्यक्रम।
राष्ट्रीय फसल बीमा कार्यक्रम के तहत तीन तरह की स्कीमें चल रही हैं। इसमें सबसे ज्यादा संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद भारत में यह बीमा अभी शुरुआती स्तर पर है। निजी कंपनियों के लिए भी यह क्षेत्र खोल दिया गया है, जिनके आने से इसके विस्तार में तेजी आने के आसार हैं। अच्छी बात यह है कि नए कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कृषि बीमा पर बहुत ही ज्यादा जोर देने की बात कही है। उन्होंने नई कृषि बीमा नीति बनाने का वादा भी किया है, जिसका सभी को इंतजार है।
-कृषि बीमा करवाते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए?
किसान के सामने यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह किस तरह का कृषि बीमा ले रहा है। बीमा कंपनियां फसलों के साथ ही बैंकों से लिए गए कृषि कर्ज का भी बीमा देती हैं। कृषक को यह स्पष्ट होना चाहिए कि वह किस तरह की फसलों के लिए कर्ज ले रहा है। मौसम के लिए बीमा करवाने से पहले इस संबंध में पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए। साथ ही, जिस इलाके के लिए मौसम से सुरक्षा के लिए बीमा करवाया जा रहा है, वहां के बारे में पूरी जानकारी होनी भी जरूरी है। मसलन, कई फसलों के लिए मौसम का खास महत्व नहीं होता, लेकिन जानकारी न होने से किसान इनका भी बीमा करवा लेते हैं। इलाके की जानकारी होने पर ही किसान बाढ़ या सूखे की स्थिति को लेकर अपनी रणनीति बना सकता है।
-कृषि बीमा के बारे में आपकी कंपनी की क्या तैयारी है?
बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस ने पिछले वर्ष कृषि बीमा में कदम रखा। हम इस क्षेत्र को काफी संभावनाओं वाला मानते हैं। अभी हम किसानों को कई तरह की कृषि बीमा पॉलिसियां दे रहे हैं। मसलन, मौसम आधारित फसल बीमा। जम्मू व कश्मीर के सेब किसानों के लिए हम खासतौर पर बीमा लेकर आए हैं। हम उत्पाद आधारित बीमा पॉलिसी भी दे रहे हैं। घाटी के इलाके में किसानों को इस तरह का बीमा पहली बार दिया जा रहा है। इसके तहत किसी वजह से अगर एक निश्चित मात्रा से कम फसल पैदा होती है तो कंपनी किसानों की भरपायी करती है। यह लोकप्रिय हो रहा है। इससे किसान प्राकृतिक आपदा या कीड़े लगने से होने वाली आर्थिक हानि से बच सकते हैं। हम किसानों को मवेशियों, व्यक्तिगत दुर्घटना जैसी बीमा पॉलिसी भी प्रदान करते हैं।
-ग्रामीण क्षेत्रों में तो बीमा कंपनियों की पहुंच बहुत कम है?
हां, इसलिए हम पहले ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से विस्तार कर रहे हैं, ताकि किसानों तक सीधी पहुंच हो सके। हम गांवों में ज्यादा एजेंटों की नियुक्ति करने जा रहे हैं। बैंको के साथ भी समझौता कर रहे हैं। हम कुछ नई किस्म का कृषि बीमा उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जिसे बैंकों के जरिये किसानों के बीच बेचा जाएगा। अभी हमारी कृषि बीमा से जुड़ी पॉलिसियां छह राज्यों में हैं। इसे अगले वर्ष तक पूरे देश मे फैलाने की तैयारी है। बैंकों से कर्ज लेने वाले किसानों के लिए भी एक नई पॉलिसी लाने जा रहे हैं।
आशीष अग्रवाल
वाइस प्रेसिडेंट व प्रमुख (कृषि)
बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस