कर्ज में लहलहा रही खेतों की हरियाली
पीलीभीत : मौसम की रुसवाई से किसान मायूस हैं। नहरों का जाल भी सिंचाई में मददगार नहीं साबित हो रहा। लिहाजा अब खेती कर्ज पर पल रही है। सिंचाई के बाद अब फसलों की बीमारी किसानों के होश उड़ाए हुए हैं। बारिश का आंकड़ा अभी पचास प्रतिशत तक नहीं पहुंचा। लिहाजा सहयोग की उम्मीद बाकी है।
धान के सीजन में मौसम की बेवफाई ने किसानों को कर्ज के बोझ से लाद दिया है। फसल की सिंचाई और खाद की खपत पहले ही जेब खाली कर चुकी है। अब धान की बीमारी ने और मुश्किल में घेर लिया है। सीमित खेती वाले काश्तकार बेहद परेशान है। यह लफ्ज है पूरनपुर क्षेत्र के किसान मुजीब के। स्थिति पूरे जिले में एक सी है। शासन ने जिले को सूखे की श्रेणी में रखने का संदेश भर दिया था। अभी तक इस दिशा में प्रशासन के पास कुछ नहीं पहुंचा। अलबत्ता यहां से किसी भी तरह के सहयोग का सिलसिला भी नहीं शुरू हुआ है।
सीताराम ने बताया कि सिंचाई में जमा पूंजी खर्च हो चुकी है। अब बीमारी धान को चाट रही है। ऐसे हालात में किसानों को सहयोग की दरकार है।
जानकी प्रसाद ने कहा कि गांव से नहर भी नहीं गुजरी है। सिंचाई का जरिया निजी नलकूप या बारिश है। बारिश तो बेहद कम है। सिंचाई में हालत तंग हो गई है। ओम प्रकाश ने कहा कि किसानों की समस्या पर शासन प्रशासन को संज्ञान लेने की जरूरत है। ताकि कर्ज वसूली आदि से राहत दी जा सके। पर अब तक कोई पहल न होना दु:खद है।