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Budget 2019: रियल एस्‍टेट डेवलपर्स को उम्‍मीद, अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्‍ट्स के लिए बैंक से मिलेगा फंड

दस हजार रियल एस्‍टेट डेवलपर्स सदस्य वाली CREDAI ने किफायती आवास की एकसमान परिभाषा तय किये जाने की बात कही है

By Manish MishraEdited By: Published: Wed, 19 Jun 2019 05:19 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jun 2019 08:19 AM (IST)
Budget 2019: रियल एस्‍टेट डेवलपर्स को उम्‍मीद, अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्‍ट्स के लिए बैंक से मिलेगा फंड

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। रियल एस्टेट के बड़े संगठन क्रेडाई (CREDAI) ने अपनी बजट विश लिस्ट में मांग की है कि बैंकों को किफायती आवास परियोजनाओं (Affordable Housing Projects) के लिए जमीन खरीदने की इच्छा रखने वाले डेवलपर्स को फंड देना चाहिए। साथ ही क्रेडाई ने यह भी मांग रखी है कि किफायती आवास की परिभाषा सभी सरकारी एजेंसियों में एक समान होनी चाहिए।

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क्रेडाई ने अपने बजट ज्ञापन में कहा, ‘परियोजना लागत में जमीन की कीमत पूरी परियोजना में लगने वाली लागत के 40 फीसदी के बराबर होती है। रेरा (RERA) के आने के बाद, कोई भी तब तक नहीं बेच सकता जब तक सभी अप्रूवल्स प्राप्त नहीं हो जाते। इसका मतलब है कि किसी को प्रमोटर को इक्विटी या प्राइवेट इक्विटी के माध्यम से धन की आवश्यकता होती है।’

ऐसा कहा जाता है कि लैंड फंडिंग आमतौर पर एनबीएफसी या प्राइवेट इक्विटी से की जाती है, लेकिन डेवलपर्स के लिए यह लागत 25 फीसदी ज्यादा पड़ती है। क्रेडाई ने कहा, ‘इस अंतर को खत्म करने के लिए बैंकिंग प्रणाली के सहयोग की आवश्यकता है। साल 2008 तक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जमीन की फंडिंग के लिए आरबीआई द्वारा अनुमति दी गई थी। अब किफायती आवास परियोजनाओं के लिए इसे जल्द से जल्द दोबारा शुरू किया जाना चाहिए।‘

दस हजार रियल एस्‍टेट डेवलपर्स सदस्य वाली इस एसोसिएशन ने किफायती आवास की एक समान परिभाषा तय किये जाने की बात कही है। क्रेडाई ने कहा, ‘वर्तमान में, आयकर अधिनियम की धारा 80 आईबीए, जीएसटी एक्ट, डीईए अधिसूचना 14.11.2017 और CLSS तथा RBI के संबंध में आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय ने किफायती आवास की जो परिभाषाएं अपनाई हुई हैं वे आपस में भिन्न भिन्न हैं।‘

क्रेडाई ने सुझाव दिया कि CLSS (क्रेडिट लिंक्‍ड सब्सिडी स्कीम) की किफायती आवास की परिभाषा को सरकार की सभी एजेंसियों द्वारा सार्वभौमिक रूप से अपनाया जाना चाहिए। साथ ही क्रेडाई ने यह भी मांग की है कि होम लोन पर मूलधन और ब्याज के भूगतान में आयकर छूट को बढ़ाया जाए।

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