Budget 2020: नारेडको ने कहा पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यवस्था के लिए रियल एस्टेट क्षेत्र की समस्याओं का निदान जरूरी
हीरानंदानी ने कहा कि सरकार ने अब तक जो भी कदम उठाए हैं उनको लेकर सकारात्मक संकेत अर्थव्यवस्था में दिखने लगे हैं। बस इसे और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत को 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आगामी बजट में सरकार को रियल एस्टेट क्षेत्र में नकदी की तंगी दूर करने और दबाव में फंसी आवासीय परियोजनाओं को बैंकों से एकबारगी राहत अथवा कर्ज पुनर्गठन की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। केंद्र सरकार के शहरी एवं आवास विकास मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले 'नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको)' ने सरकार के समक्ष यह मांग रखी है। उसने कहा है कि रियल एस्टेट क्षेत्र इस समय नकदी की भारी तंगी से जूझ रहा है। नकदी के अभाव में अटकी प़़डी आवासीय परियोजनाओं को आगे ब़़ढाने के लिए सरकार को रियल एस्टेट कंपनियों के कर्ज का पुनर्गठन करना चाहिए अथवा उन्हें बैंकों को ऐसे कर्ज के मामले में एकबारगी राहत देने का विकल्प देना चाहिए। इससे कर्ज लेने वाली कंपनी का खाता 'मानक खाता' बना रहेगा और संबंधित राशि गैर— निष्पादित राशि (एनपीए) नहीं बनेगी।
नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. निरंजन हीरानंदानी ने बुधवार को यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, कुछ भी नामुमकिन नहीं है। रियल एस्टेट क्षेत्र में दहाई अंक में वृद्धि हासिल करना मुमकिन है। सरकार को टुक़़डों में नहीं बल्कि समग्र रूप से इस क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करना चाहिये। रियल एस्टेट क्षेत्र से 269 अन्य सहायक उद्योग जुड़े हैं। जमीन--जायदाद और आवास क्षेत्र यदि तेजी से आगे ब़़ढेगा तो पूरी अर्थव्यवस्था की गति ब़़ढेगी। यह क्षेत्र भारत को 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में अहम योगदान कर सकता है। हीरानंदानी ने कहा कि सरकार ने अब तक जो भी कदम उठाए हैं उनको लेकर सकारात्मक संकेत अर्थव्यवस्था में दिखने लगे हैं। बस इसे और प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।
स्टाम्प शुल्क में कटौती की जाए
सरकार को चाहिये 31 मार्च 2020 को अथवा इससे पहले होने वाले सभी तरह के रियल एस्टेट सौदों पर स्टाम्प शुल्क में 50 फीसद कटौती होनी चाहिए। इसका असर यह होगा कि अभी तक प्रतीक्षा कर रहे लोग भी आगे ब़़ढकर घर खरीदना शुरू करेंगे। हीरानंदानी देश के प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम के भी अध्यक्ष बने हैं। उन्होंने कहा कि देश में 2022 तक सभी को आवास उपलब्ध कराने के लक्ष्य को हासिल करने के लिये देश में किरायेदारी आवासों को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। शहरी क्षेत्रों में ब़़ढती आबादी को आवासीय सुविधायें उपलब्ध कराने के लिए किरायेदारी आवास बेहतर विकल्प होगा। डेवलपरों को इसके लिए कर रियायतें दी जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि आवास कर्ज पर ब्याज दर को कम करके सात फीसद तक नीचे लाया जाना चाहिये। ब्याज दर में कमी का लाभ अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंचना चाहिये।
नए सिरे से परिभाषित किया जाए
हीरानंदानी ने सस्ती आवासीय परियोजनाओं को नए सिरे से परिभाषिषत करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) और आयकर कानून में हाल ही में सस्ते आवासों की परिभाषषा को अलग अलग संशोधित किया गया है। ऐसे में सस्ता घर चाहने वालों को दो— दो शर्तों को पूरा करना प़़डता है। उन्होंने सुझाव दिया है कि सस्ते आवासों के लिए 45 लाख रपए की मूल्य सीमा को समाा कर 60 अथवा 90 वर्गमीटर क्षेत्र वाले मकानों को ही यह लाभ देने की सिफारिश की है। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद निजी क्षेत्र में निवेश नहीं ब़़ढने के सवाल पर हीरानंदानी ने कहा कि दिल्ली, एनसीआर, नोएडा और गु़़डगांव में हालांकि कुछ सुस्ती है लेकिन देश के अन्य भागों हैदराबाद, बेंगलुर, मुंबई में नई परियोजनाएं आ रही हैं। नया निवेश आ रहा है। वर्ष 2019 में 20 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया है। सकारात्मक रख दिखने लगा है। अटकी परियोजनाओं को आगे ब़़ढाने के लिये सरकारी कोषष के तहत चार परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है और परियोजनाएं इसके तहत आएंगी। इसके लिये अगली बैठक जल्द होने वाली है।