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Iron Industry को केंद्रीय बजट से हैं बहुत उम्मीदें, कमजोर नीतियों के कारण घुट रहा दम

Budget 2020 सात वर्ष पहले मंडी गोबिंदगढ़ में करीब 375 रोलिंग मिलें थीं। उनकी संख्या अब 225 रह गई है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 04:38 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jan 2020 08:53 AM (IST)
Iron Industry को केंद्रीय बजट से हैं बहुत उम्मीदें, कमजोर नीतियों के कारण घुट रहा दम
Iron Industry को केंद्रीय बजट से हैं बहुत उम्मीदें, कमजोर नीतियों के कारण घुट रहा दम

फतेहगढ़ साहिब, जागरण ब्यूरो। फतेहगढ़ साहिब एक दशक पहले आर्थिक मंदी के कारण एशिया की जानी-मानी लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ की औद्योगिक इकाइयों की चिमनियों से धुआं निकलना बंद हो गया था। ताले लटक गए थे। धीरे-धीरे सरकारों ने आर्थिक मंदी तो दूर कर दी, लेकिन कमजोर नीतियों के कारण आज भी लोहा इंडस्ट्री का दम घुट रहा है। इन हालातों में इंडस्ट्री को मजबूती देने के लिए कारोबारियों की आम बजट से ढेर सारी उम्मीदें रहती हैं। कुछ वर्षों से आम बजट में इन उद्योगों की अनदेखी की गई है।

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सात वर्ष पहले मंडी गोबिंदगढ़ में करीब 375 रोलिंग मिलें थीं। उनकी संख्या अब 225 रह गई है। यहां 100 के करीब फर्नेस इकाइयां हैं, जो किसी समय मात्र चालीस रह गई थीं। अब इस नगरी को आर्थिक मंदी की नहीं, बल्कि गलत नीतियों के कारण उजड़ रही इंडस्ट्री की चिंता है।  

टैक्स व विभिन्न राज्यों में मिलती अलग-अलग छूट से यहां के उद्योगपति परेशान हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में इंडस्ट्री लगाने के लिए इतनी ज्यादा छूट है कि उद्योगपति पंजाब से पलायन करना ही उचित समझते हैं। महंगी बिजली भी इंडस्ट्री के विकास में रुकावट बनी हुई है। यही नहीं, लोहा नगरी में उद्योगपतियों से ज्यादा सटोरियों और सट्टेबाजों ने अपनी धाक जमाई हुई है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से संचालित इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज लिमिटेड ट्रेडिंग (आइसीएक्स)से तय होते दामों से मंडी गोबिंदगढ़ ही नहीं, पूरे पंजाब के मिल मालिक परेशान हैं। आइसीएक्स पर कोई नियंत्रण नहीं होने कारण वहां मनमर्जी के दाम तय होते हैं। ऐसे तौर-तरीकों पर पाबंदी की मांग की गई है। 

ऑल इंडिया स्टील री-रोलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट विनोद वशिष्ठ कहते हैं कि आर्थिक मंदी नहीं है। नई तकनीकों के साथ इकाइयां अपग्रेड हो गई हैं। प्रोडक्शन बढ़ी है जबकि डिमांड कम है। अपग्रेड न होने वाली छोटी इकाइयां बंद हो रही हैं।

लोहा करोबारी राकेश गोयल का मानना है कि गाजियाबाद से तय होने वाले दामों से करोड़ों रुपये का माल चंद मिनटों में लाखों का रह जाता है। इस पर पहल के आधार पर शिकंजा कसा जाना चाहिए। वहीं, मिल मालिक अशोक जैन मानते हैं कि सरकार नई इकाइयां लगाने पर जोर दे रही है लेकिन बंद इकाइयों चालू करने पर ध्यान नहीं दे रही। जैसे किसानों को कर्ज माफी की छूट है, वैसी रियायत घाटा पड़ने पर उद्योगपतियों को भी मिलनी चाहिए। लोहा कारोबारी दिनेश गोयल कहते हैं कि यदि सही मायने में मंडी गोबिंदगढ़ की लोहा नगरी को पुनर्जीवित करना है तो इसे विशेष पैकेज देना होगा। इस पैकेज से उद्योग का कद बढ़ेगा।


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