सरकार ने अपने चार बजट में शिक्षा को लेकर की कई अहम घोषणाएं, इस बार जनता को क्या हैं उम्मीदें
वित्त मंत्री 1 फरवरी को देश का अंतरिम बजट पेश करेंगे।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वित्त मंत्री 1 फरवरी को देश का अंतरिम बजट पेश करेंगे। बजट में शिक्षा एक ऐसा सेक्टर है जिसे प्रमुख तौर पर बेहद अहम माना जाता है। सरकार ने 2018 के बजट में शिक्षा को लेकर कई जरूरी घोषणाएं की लेकिन अब भी इस सेक्टर पर काफी ध्यान देने की जरूरत है। चुकी देश निर्माण में शिक्षा का अहम रोल है इसलिए जनता को 2019 में पेश होने वाले बजट से शिक्षा को लेकर कई जरूरी घोषणाओं की उम्मीद है।
पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शिक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण ऐलान किए। जेटली ने प्री-नर्सरी से 12 वीं तक के लिए एक नीति की घोषणा की। शिक्षकों की गुणवत्ता सुधारने पर जोर दिया। साथ ही उनके प्रशिक्षण पर ध्यान देने की बात कही। बजट में शिक्षकों को डिजिटल माध्यम से ट्रेंड करने पर जोर दिया गया।
एनुअल सर्वे ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) 2017 के आंकड़ों की मानें तो ग्रामीण क्षेत्रों में 14-18 साल के उम्र समूह के बच्चों का आठवीं क्लास में नामांकन एक दशक में दोगुना हो गया है। 2004-05 में ये संख्या जहां 1.1 करोड़ थी, वहीं 2014-15 में 2.2 करोड़ हो गई। हालांकि, लड़के-लड़कियों के अनुपात में कोई खास फर्क नहीं दिखा। ASER के आंकड़े बताते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ तस्वीर बदल गई। 18 साल की उम्र तक केवल 68 फीसद लड़कियां ही स्कूलों में रुकीं, जबकि लड़कों के मामले में यह 72 फीसद है।
वित्त मंत्री ने बजट भाषण में प्री-नर्सरी से लेकर 12वीं तक के लिए कई नई स्कीम लॉन्च़ कीं। आदिवासी इलाकों में शिक्षा पर काफी ज्या दा फोकस किया गया। इस दौरान नवोदय विद्यालय के तर्ज पर आदिवासी इलाकों में एकलव्य स्कूल खोलने की बात कही गई थी। एकलव्य स्कूल हर ब्लॉइक में खोलने का ऐलान हुआ। लेकिन ASER की ओर से जारी आंकड़े अब भी शिक्षा के क्षेत्र में बदहाली की तस्वीर बयां करते हैं। ASER के आंकड़े बताते हैं कि 14-18 साल के एज ग्रुप के स्टूडेंट्स कई साल पढ़ने के बावजूद भी बेसिक स्किल्स में कमजोर हैं। आठवीं में पढ़ने वाले 27 फीसद छात्र दूसरी क्लास के स्तर की किताबें भी नहीं पढ़ पाते, जबकि 14-18 साल एज ग्रुप के 42 फीसद छात्र अंग्रेजी के सामान्य वाक्य भी नहीं पढ़ पाते। इसे देखते हुए 2019 के बजट में सरकार को शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018 के अपने बजट में शिक्षा को लेकर जो बड़े ऐलान किए, उनमें ST छात्रों के लिए एकलव्य स्कूल, नर्सरी से 12वीं तक पढ़ाई की एक नीति, स्कूलों में ब्लैकबोर्ड की जगह डिजिटल बोर्ड, बीटेक छात्रों के लिए PM रिसर्च फेलो प्लान, प्लानिंग एंड आर्किटेक के लिए दो नए स्कूल, अगले चार साल में शिक्षा पर 1 लाख करोड़ खर्च, शिक्षकों का स्तर सुधारना, 13 लाख से ज्यादा शिक्षकों को ट्रेनिंग दिए जाने का लक्ष्य और एकीकृत बीएड कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा प्रमुख थी।
डिजिटल ब्लैक बोर्ड पर कराई जाएगी पढ़ाई
बजट में स्कूल-कॉलेजों में बच्चोंं को हाईटेक तरीके से पढ़ाने पर बल दिया गया। इसके लिए हर जगह डिजिटल ब्लैमक बोर्ड पर पढाई कराने की बात कही गई। सरकार का लक्ष्य शैक्षिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सिस्टम को 2022 तक बेहतर करना है।
हायर एजुकेशन में स्टू डेंट के लिए क्या रहा खास
बीटेक विद्यार्थियों के लिए प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो योजना लागू करने की बात कही गई, 1000 स्टू्डेंट को आईआईटी से पीएचडी करने की सुविधा मिली। वहीं, देश में 2 नए प्लानिंग और ऑर्किटेक्चर स्कूूल खोले जाने का ऐलान हुआ। इसके अलावा 18 आईआईटी और एनआईटी खोलने की भी घोषणा हुई।
सेस में 1 परसेंट इजाफा
पिछले बजट में एजुकेशन सेक्टइर में सेस में 1 परसेंट का इजाफा हुआ। पहले यह सेस 3 परसेंट था। ऐसे में बढ़कर यह 4 परसेंट हो गया। सेस बढ़ाने के पीछे सरकार को उम्मीद जाहिर की थी कि इससे करीब 11 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था हो जाएगी।
कितना आवंटन
2018 के बजट में शिक्षा क्षेत्र में कुल 85010 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया, जो पिछले साल के संशोधित बजट से मात्र 3141 करोड़ ही अधिक रहा। इस तरह देश के शिक्षा बजट में इस साल महज 3.69 फीसद का ही इजाफा हुआ।