किसानों के लिए बेहद खास हो सकता है मोदी सरकार का अंतरिम बजट
जिससे निपटने के लिए मोदी सरकार अपने अंतरिम बजट में कई अहम उपायों की घोषणा कर सकती है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले साल 2018 के आखिर में हिंदी क्षेत्र के तीन अहम राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सत्तारुढ़ बीजेपी की हार की बड़ी वजह किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा रहा। कृषि असंतोष अब धीरे-धीरे बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है, जिससे निपटने के लिए मोदी सरकार अपने अंतरिम बजट में कई अहम उपायों की घोषणा कर सकती है।
हालांकि, कृषि मंत्री देश भर के किसानों की कर्ज माफी की संभावना को खारिज कर चुके हैं लेकिन राज्य सरकारों ने किसानों का कर्ज माफ कर उन्हें राहत दी है। वित्त मंत्री लोकसभा चुनावों से पहले देश का अंतरिम बजट पेश करेंगे और माना जा रहा है कि उनका यह बजट किसान केंद्रित होगा।
पिछले साढ़े चार सालों के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने किसानों और उनकी आय में इजाफा करने के लिए कई अहम योजनाओं की शुरुआत की। हालांकि इसके बावजूद उन्हें महंगा कर्ज, कृषि लागत की अधिकता और फसलों की उचित कीमत नहीं मिलने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। देश के कई राज्यों में किसान आलू और प्याज की फसल को उपज लागत से बेहद कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर हैं। ऐसे में सरकार के अंतरिम बजट में किसानों के हितों को प्राथमिकता के साथ उठाए जाने की उम्मीद बढ़ गई है।
रिसर्च फर्म क्रेडिट सुइस ने भी कर्ज माफी की संभावनाओं को खारिज करते हुए अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि मुख्य राज्यों में विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी आम चुनाव से पहले केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र में किसी बड़े कर्जमाफी की घोषणा नहीं करने वाली है। आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन समेत अन्य अर्थशास्त्रियों ने सरकार को कर्ज माफी की घोषणा से बचने की अपील की है।
ऐसे में कर्ज माफी से इतर किसानों को मदद पहुंचाने वाली अन्य योजनाओं के घोषणाओं की उम्मीद बढ़ गई है। माना जा रहा है कि सरकार कम कीमतों पर फसल बेचने वाले किसानों को उनके नुकसान की भरपाई के लिए एक तय रकम देने की योजना की घोषणा कर सकती है। यह रकम सीधे किसानों के खाते में भेजी जाएगी। मतलब अगर किसान, फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होते हैं, तो उन्हें सब्सिडी देकर सहायता दी जाएगी।
इसके साथ ही सरकार किसानों के परिवार को बीज, खाद और कृषि उपकरणों की खरीद के लिए सालाना एक निश्चित रकम दिए जाने के विकल्पों पर विचार कर रही है। ओडिशा और तेलंगाना में ऐसी योजनाएं पहले से चलाई जा रही हैं। तेलंगाना में जहां छोटे और सीमांत किसानों को खरीफ और रबी सीजन में प्रति एकड़ 4000 रुपये की मदद दी जाती है वहीं ओडिशा में सभी भूमिधारकों और भूमिहीन किसानों को सालाना 10,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। यह रकम किसानों को खाद, बीज और कृषि उपकरणों की खरीद के लिए दी जाती है।
पिछले बजट की बड़ी घोषणाएं-
• 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा।
• मत्स्य पालन और पशुपालन के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा।
• 2018-19 के लिए कृषि कर्ज की सीमा को बढ़ाकर 11 लाख करोड़ रुपये किए जाने की घोषणा।
• अधिकांश रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य उपज लागत से डेढ़ गुना अधिक किए जाने का फैसला।
• भारत के कृषि निर्यात को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य।
• ई-नैम के नेटवर्क और अधिक मजबूत किए जाने की घोषणा।
• 22,000 से अधिक ग्रामीण हाट को ग्रामीण कृषि बाजार में विकसित करने की योजना।
• इन बाजारों के लिए इंफ्रा विकसित करने की योजना के लिए 2,000 करोड़ रुपये का आवंटन।