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Women Budget 2022: पिछले साल जेंडर बजट में दिखी थी 6.8 % की बढ़त, जानें महिलाओं को क्या-क्या मिला था?

Budget 2022-23 For Women महिला-समर्थक योजनाओं के आवंटन के लिए- जिसमें महिलाओं के लिए कम से कम 30 प्रतिशत आवंटन था- 114893 करोड़ रूपए से बढ़कर 128065 करोड़ रुपए हो गया है - जो11.46 प्रतिशत की वृद्धि थी।

By Ruhee ParvezEdited By: Published: Mon, 31 Jan 2022 03:30 PM (IST)Updated: Tue, 01 Feb 2022 07:10 AM (IST)
महिला बजट 2022: पिछले साल जेंडर बजट में दिखी थी 6.8 % की बढ़त, जानें महिलाओं को क्या-क्या मिला था?

नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Budget 2022-23 For Women: साल 2021 के केंद्रीय बजट में जेंडर बजट में मात्र 6.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई थी, जो कि 1,43,461.72 करोड़ रुपए से ​​1,53,326 करोड़ रुपए हो गया था। हालांकि, महिला विशिष्ट योजनाओं का आवंटन- खासकर जिनमें महिलाओं के लिए 100 प्रतिशत आवंटन था - 28,568.32 करोड़ से गिरकर 25,260.95 करोड़ हो गया, जो लगभग 13 प्रतिशत की गिरावट थी। फिर भी, महिला-समर्थक योजनाओं के आवंटन के लिए- जिसमें महिलाओं के लिए कम से कम 30 प्रतिशत आवंटन था- 1,14,893 करोड़ रूपए से बढ़कर 1,28,065 करोड़ रुपए हो गया है - जो11.46 प्रतिशत की वृद्धि थी।

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आपको बता दें कि, जेंडर बजट को दो भागों में बांटा गया है: भाग-ए, जो महिलाओं के लिए 100 प्रतिशत आवंटन वाली योजनाओं से संबंधित है। भाग-बी, जो उन योजनाओं से संबंधित है, जिनमें महिलाओं के लिए कम से कम 30 प्रतिशत धन आवंटित किया जाता है। जेंडर बजट का भाग-ए आवंटन में साल-दर-साल के अंतर को दर्शाता है।

माध्यमिक शिक्षा के लिए लड़कियों के लिए केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय प्रोत्साहन योजना का बजट 2020-21 के बजट अनुमान में 110 करोड़ रुपये से घटकर सिर्फ एक करोड़ रुपये ही रह गया। साथ ही आवंटन में एक और भारी गिरावट निर्भया फंड में देखी गई, जिसे पिछले बजट में 855 करोड़ रुपए के मुकाबले इस बार सिर्फ 10 करोड़ रुपए आवंटित किए गए।

महिला और बाल विकास मंत्रालय के तहत पहल में भी वित्त पोषण में 15 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 3919 करोड़ से वित्त वर्ष 2021 के लिए 3,310 करोड़ रुपए हो गई। लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण आवास) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के लिए 2021-22 के बजट अनुमान काफी हद तक अपरिवर्तित रहे। दिलचस्प बात यह है कि दोनों योजनाएं मिलकर जेंडर बजट के भाग-ए का तीन-चौथाई हिस्सा हैं।

वित्तीय वर्ष 2005 में शुरू किया गया, जेंडर बजट सरकारी योजनाओं के लिए धन के आवंटन में लैंगिक असमानताओं को दूर करने की एक पहल है। 2004 में राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य के रूप में, निर्मला सीतारमण ने इस विचार को केंद्रीय बजट में एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और 2019 के अपने बजट भाषण में, उन्होंने जेंडर बजट का मूल्यांकन करने के लिए एक समिति की घोषणा की थी।


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