नई दिल्ली, जेएनएन: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ ही संसद के बजट सत्र का आज से आगाज हो गया है। 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आम बजट पेश करेंगी। ऐसे में मोदी सरकार के इस बजट से आम और खास सभी उम्मीद लगाए बैठे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि, इस आम बजट में बैंकिंग क्षेत्र को मजबूती देने के लिए भी कई बड़े ऐलान हो सकते हैं।
दरअसल, देश की अर्थव्यवस्था में बैंकिंग क्षेत्र का अहम योगदान रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 के बजट से पहले दिसंबर 2021 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेलीकॉम सेक्टर के CEO से बातचीत की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, उनके नेतृत्व के कारण देश की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ है। कोविड के बाद भी देश प्रगति की तरफ बढ़ रहा है। हालांकि प्राइसवाटरहाउस कूपर्स (PWC) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2040 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बैंकिंग हब हो सकता है, और 2025 तक भारत का फिनटेक बाजार 6.2 ट्रिलियन रुपये तक पहुंचने की संभावना है।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज के मुताबिक, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को इस महामारी से उबरने के लिए 2.1 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी। उचित बजट, सही कर और नियामक नीतियां बैंकिंग उद्योग को तेजी से विकास पथ पर वापस ला सकती हैं। भारत का एकमात्र बैंक भारतीय स्टेट बैंक हैं, जो दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में आता है।
हालांकि, बैंकों के निजीकरण पर उठ रही आशंकाओं के बीच केंद्र सरकार विनिवेश प्रक्रिया पर विराम लगा सकती है। लेकिन इसकी उम्मीद बहुत कम है। 2021-22 में केंद्र सरकार ने पीएसयू के विनिवेश से 1.75 ट्रिलियन रुपये इकट्ठा करने की उम्मीद लगाई थी। लेकिन यह लक्ष्य अधूरा रह गया। बीते दिनों केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात को माना था कि दो बैंकों के निजीकरण को अंजाम नहीं दिया जा सका है।
वहीं, वित्तीय सेवा कंपनी 'बैंक बाजार' की मानें तो कोरोना के कारण पर्सनल लोन, कार लोन और होम लोन जैसे लोन की मांग में भी गिरावट आई है, जिसने बैंकों की आर्थिक स्थिति को और खराब किया है। अगर बैंकों को खस्ताहालत से उबरना है, तो ऋण देना शुरू करना होगा, जो उनकी आय का मुख्य स्रोत है।
इससे पहले, बजट प्रस्ताव में बैंकों ने वित्तीय समावेश के लिए किए गए उपायों तथा डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने पर किए गए खर्च के लिए विशेष छूट की मांग की थी। बैंक चाहते हैं कि कराधान से संबंधित मामलों के तेजी से निपटान के लिए एक विशेष विवाद समाधान प्रणाली की स्थापना की जाए।
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने कहा था कि, कमजोर क्षेत्र को बढ़ावा देने, डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने और वित्तीय समावेशन के तहत सरकार की विभिन्न योजनाओं को लागू करने के लिए बैंक बहुत सारी गतिविधियां करते हैं। आईटी का व्यय करके, बैंक जनता को लाभ देते हैं अर्थात व्यापार करने में आसानी, डिजिटल बैंकिंग, आदि। कराधान से संबंधित मामलों के तेजी से निपटान के लिए बैंक एक विशेष विवाद समाधान तंत्र भी चाहते हैं।