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सुनिए वित्त मंत्री जी: कई सेक्टरों में बुनियादी ढांचे पर निवेश की दरकार, पुरानी परियोजनाओं को पूरा करने और नई की शुरुआत से बढ़ेगा रोजगार

देश की सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश से लेकर हिमाचल प्रदेश और झारखंड जैसे अपेक्षाकृत कम आबादी वाले राज्यों के उद्योग जगत को भी आगामी बजट में स्वास्थ्य चिकित्सा और परिवहन जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा को मजबूती दिए जाने के उपायों की उम्मीद है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 09:42 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 08:31 AM (IST)
सुनिए वित्त मंत्री जी: कई सेक्टरों में बुनियादी ढांचे पर निवेश की दरकार, पुरानी परियोजनाओं को पूरा करने और नई की शुरुआत से बढ़ेगा रोजगार
आगामी केंद्रीय बजट एक फरवरी को पेश किए जाने की संभावना है।

नई दिल्ली, जेएनएन। देश की सबसे बड़ी आबादी वाले उत्तर प्रदेश से लेकर हिमाचल प्रदेश और झारखंड जैसे अपेक्षाकृत कम आबादी वाले राज्यों के उद्योग जगत को भी आगामी बजट में स्वास्थ्य, चिकित्सा और परिवहन जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा को मजबूती दिए जाने के उपायों की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश में आम जनता से लेकर कारोबारी जगत तक चाहता है कि हेल्थकेयर इन्फ्रा पर सरकार पर्याप्त ध्यान दे और नए हॉस्पिटल खुलें, ताकि इस सेक्टर की कंपनियों के लिए बेहतर मौके बनें।

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प्रदेश में प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के महामंत्री डॉ. अमित सिंह का मानना है कि डिजिटल इंडिया का सपना सच में तभी साकार हो सकेगा जब हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बड़े चिकित्सा संस्थानों से ऑनलाइन जुड़ जाएगा। ऑनलाइन-परामर्श और कंसल्टेंसी की सुविधा मजबूत होने से बाहर के मरीजों को भी राज्य में इलाज के लिए प्रेरित किया जा सकेगा, जिससे विभिन्न कारोबारों को फलने-फूलने का मौका मिलेगा।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) की एकेडमी ऑफ मेडिकल स्पेशलिटीज के नेशनल वाइस चेयरमैन प्रो. सूर्यकांत के मुताबिक सर्वाधिक आबादी वाले इस राज्य को कम से कम तीन नए एम्स मिलने चाहिए। इससे स्वास्थ्य और संबद्ध सेवाओं के कारोबार को गति मिल सकेगी। मिलेगी। अभी भी बड़े शहरों में इलाज के लिए छोटे शहरों के मरीज आते हैं, जिनका बजट में पूरा ध्यान रखा जाना चाहिए। 

वहीं, हिमाचल प्रदेश के कारोबारियों का कहना है कि सरकार को परिवहन इन्फ्रा पर खर्च और क्रियान्वयन को गति देनी चाहिए। प्रदेश में रेल नेटवर्क को बढ़ावा देने की कवायद वर्षों से चल रही है, मगर अंजाम तक नहीं पहुंच रही। कच्चे व तैयार माल की ढुलाई के लिए उद्योग अब भी ट्रकों पर निर्भर है।

प्रदेश के किसान व बागवानों को अपने उत्पाद अन्य राज्यों की मार्केट तक पहुंचाने में दो से तीन गुना ज्यादा मालभाड़ा देना पड़ रहा है। बस सेवा के अलावा प्रदेश की जनता के पास दूसरा कोई मजबूत विकल्प नहीं है। बिलासपुर व सोलन जिलों में तीन बड़े सीमेंट उद्योग हैं। सीमेंट ढुलाई करीब 10,000 ट्रकों पर निर्भर है। बीबीएन यानी बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ में करीब 2,500 छोटे-बड़े उद्योग हैं।

कच्चे व तैयार माल की ढुलाई ट्रकों से होती है। रेललाइन बनने से ढुलाई पर खर्च घटेगा और ग्राहकों को उत्पाद भी सस्ते मिलेंगे। सामरिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन भी अभी सर्वेक्षण के दौर से ही गुजर रही है। अंग्रेजों के समय बनी दो रेल लाइन कालका-शिमला व पठानकोट-जोगेंद्रनगर 74 साल बाद एक इंच आगे नहीं बढ़ पाई हैं।

नंगल-तलवाड़ा रेल लाइन का खाका 1972 में तैयार हुआ था। यह लाइन अभी तक तलवाड़ा नहीं पहुंच पाई है। हालांकि मंडी से लोकसभा सदस्य रामस्वरूप शर्मा कहते हैं कि बिलासपुर-मनाली-लेह रेललाइन का सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। यह रेललाइन सामरिक व पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। पठानकोट-जोगेंद्रनगर रेललाइन के नवीकरण का खाका तैयार हो चुका है।

खनिज संपदा से भरपूर झारखंड के कारोबारी भी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और स्वास्थ्य सेवाओं पर निवेश की बाट जोह रहे हैं। आम जनता के साथ ही कारोबारियों, उद्यमियों पर भी कोरोना का दौर काफी भारी गुजरा है। ऐसे में कारोबारियों को उम्मीद है कि वित्त मंत्री उन्हें निराश नहीं करेंगी।

फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा का कहना है कि जीएसटी दरों के स्लैब कम करना जरूरी है, जिससे जटिलता घटेगी और जीएसटी से जुड़े मुद्दे सुलझाने में मदद मिलेगी। कारोबारियों को जीएसटी स्टेटमेंट में भी सुधार का एक मौका दिया जाना चाहिए। सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष अशोक भालोटिया के मुताबिक सरकार को इन्फ्रा क्षेत्र में बजट बढ़ाने समेत बड़े प्रोजेक्ट की घोषणा करनी चाहिए, ताकि ज्यादा लोगों को रोजगार मिले और इकोनॉमी पटरी पर आए।


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