Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सोना और तांबा खदानों में हिस्सेदारी बेचे सरकार, ये डिमांड क्यों कर रहे वेदांता के चेयरमैन

    भारत में हर वर्ष 900 टन सोना खपत होता है जिसका सिर्फ एक फीसद ही घरेलू उत्पादन से पूरा किया जाता है। भारत सालाना 41 अरब डॉलर यानी 3.4 लाख करोड़ रुपये का सोना हर वर्ष औसतन आयात करता है। इसी तरह से तांबा में 95 फीसद मांग आयात से पूरी की जाती है जो तीन अरब डॉलर या 24 हजार करोड़ रुपये के बराबर मूल्य का होता है।

    By Jagran News Edited By: Suneel Kumar Updated: Tue, 11 Jun 2024 06:32 PM (IST)
    Hero Image
    वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने घरेलू खदानों के निजीकरण का सुझाव दिया है।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में जिस तेजी से सोना और तांबे की खपत बढ़ रही है उसकी आपूर्ति सिर्फ आयात से करने से आगे कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। ऐसे में भारत सरकार को इन दोनों बहुमूल्य धातुओं के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए घरेलू खदानों का तेजी से निजीकरण होना चाहिए। यह सुझाव वेदांता समूह के चेयरमैन व प्रसिद्ध उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने दिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वेदांता के पास कई धातु खदान

    वेदांता की भारत व विदेशों में धातुओं के कई खदान हैं। मंगलवार को सोशल मीडिया साइट एक्स पर अग्रवाल ने एक लंबा पोस्ट लिखा है। अग्रवाल ने लिखा है कि सोना व तांबा खनन में सरकारी कंपनियां हैं। इनमें सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री करने से ना सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा बल्कि केंद्र व राज्यों को भारी राजस्व की आमदनी भी होगी। यह पोस्ट उन्होंने तब लिखा है जब देश में कोयला व खनन मंत्रालय का कार्यभार नये मंत्री जी किशन रेड्डी संभालने जा रहे हैं।

    सालाना 900 टन सोने की खपत

    भारत में हर वर्ष 900 टन सोना खपत होता है जिसका सिर्फ एक फीसद ही घरेलू उत्पादन से पूरा किया जाता है। भारत सालाना 41 अरब डॉलर यानी 3.4 लाख करोड़ रुपये का सोना हर वर्ष औसतन आयात करता है। इसी तरह से तांबा में 95 फीसद मांग आयात से पूरी की जाती है जो तीन अरब डॉलर या 24 हजार करोड़ रुपये के बराबर मूल्य का होता है।

    बढ़ सकता है खनिज उत्पादन

    अग्रवाल आगे कहते हैं कि, “सोना में हमारे पास हट्टी खान है जो कर्नाटक सरकार और भारत सरकार (भारत गोल्ड माइंस) के पास है। दूसरी तरफ तांबा में हिंदुस्तान कापर लिमिटेड का उत्पादन लंबे समय से स्थिर है। कुछ लोग कहते हैं कि भारत में इन खनिजों का कोई खान नहीं शेष नहीं बचा है लेकिन अगर नया निवेश हो व नए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाए, तो उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।'

    उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां यह करने में सक्षम है। इससे केंद्र व राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा। इससे कई तरह के दूसरे संबंधित उद्योग स्थापित होंगे और लोगों को नये रोजगार के अवसर भी मिलेगा।

    यह भी पढ़ें : GDP Growth: गठबंधन सरकार के बावजूद बनी रहेगी विकास की तेज रफ्तार, मॉर्गन स्टेनली ने जताया भरोसा