शेयर बाजार में क्यों होती है उथल-पुथल, किन वजहों से ऊपर-नीचे होती हैं बाजार की सांसें
यह देश में चुनावी नतीजों का वह दिन था जब सेंसेक्स और निफ्टी 8 फीसदी से भी ज्यादा लुढ़क गए थे। शेयर बाजार की इस उठा पटक को देखते हुए आपके जेहन में भी यह सवाल जरूर होगा कि आखिर वे कौन-सी वजहें होती हैं जिनसे निवेशकों की कमाई में कभी तेज उछाल कभी अचानक गिरावट देखने को मिलती है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। क्या आपको देश में चुनावी नतीजे से एक दिन पहले यानी 3 जून 2024 को शेयर मार्केट का जबरदस्त उछाल ध्यान में है? अगर हां तो आपको इसके बाद 4 जून 2024, चुनावी नतीजों के दिन बाजार की स्थिति भी ठीक तरह से याद होगी।
जहां पहले कारोबारी दिन बाजार में जबरदस्त उछाल देखने को मिला, वहीं, अगले ही दिन शेयर बाजार में हाहाकार मचने का माहौल रहा।
यह देश में चुनावी नतीजों का वह दिन था जब सेंसेक्स और निफ्टी 8 फीसदी से भी ज्यादा लुढ़क गए थे। मार्केट में आई इस गिरावट की वजह से बीएसई में लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैप में करीब 31 लाख करोड़ रुपये की कमी आई।
शेयर बाजार की इस उठा पटक को देखते हुए आपके जेहन में भी यही सवाल होगा कि आखिर वे कौन-सी वजहें हैं, जिनसे निवेशकों की कमाई में कभी तेज उछाल कभी अचानक गिरावट देखने को मिलती है।
इस आर्टिकल में शेयर बाजार को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में ही जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं-
संस्थागत निवेशकों की होती है अहम भूमिका
शेयर बाजार को प्रभावित करने वाला कोई एक कारक नहीं होता। बल्कि इसके कई कारक हो सकते हैं। हालांकि, मार्केट को ऊपर और नीचे ले जाने में संस्थागत निवेशकों की अहम भूमिका होती है। इन निवेशकों में बड़े वित्तीय संस्थान, पेंशन फंड, म्यूच्युअल फंड शामिल होते हैं।
बाजार की गति इन निवेशकों की चाल पर निर्भर करती है। ये वे निवेशक होते हैं जो किसी भी कंपनी की माली स्थिति को भली-भांति समझने के साथ देश की वर्तमान और मौजूदा स्थिति, आर्थिक-राजनीतिक परिदृश्य की भी समझ रखते हैं।
बाजार की हलचल की मुख्य वजहें
बाजार की हलचल जहां अंतरराष्ट्रीय आर्थिक घटनाओं से जुड़ी होती है, वहीं, घरेलू सियासी हालात भी बाजार की हलचल की वजह बनते हैं। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति और कोरोना जैसी महामारी भी बाजार को प्रभावित करते हैं।
घरेलू सियासी हालात
इसे ऐसे समझ सकते हैं कि किसी भी देश की आर्थिक स्थिति देश के सियासी हालात पर निर्भर करती है। अगर सियासी स्तिथियां स्थिर होती हैं तो बाजार को मजबूती मिलती है।
विदेशी निवेशक किसी भी देश के राजनीतिक परिस्थितियों पर गौर फरमाते हैं। इसे देश में एग्जिट पोल के परिणामों और चुनावी नतीजों से समझा जा सकता है।
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक घटनाएं
वैश्विक स्तर पर होने वाली आर्थिक घटनाओं से भारत भी अछूता नहीं रहता है। यह 2008 का आर्थिक मंदी का वह दौर था, जब भारतीय बाजारों पर भी इसका असर पड़ा था।
बीएसई सेंसेक्स में लगभग साल भर में ही 63 फीसदी की गिरावट दर्ज करवा चुका था।
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अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति
अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति का भी शेयर बाजार पर प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में इजरायल-हमास युद्ध और यूक्रेन रूस युद्ध हर किसी के लिए एक गंभीर मुद्दा बने हुए हैं।
24 फरवरी 2022 को जब रूस के यूक्रेन पर हमले की जानकारी आई थी तो अगले ही शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट का माहौल दिखा।
कोरोना जैसी महामारी
घरेलू सियासी हालात, अंतरराष्ट्रीय आर्थिक घटनाएं और अंतरराष्ट्रीय भू-राजनीति ही नहीं, शेयर बाजार कोरोना जैसी महामारी की वजह से भी प्रभावित होता है।
कोरोना की ही बात करें तो इस महामारी का प्रकोप दुनिया भर के देशों पर देखने को मिला था। सभी देशों की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई थी।