Move to Jagran APP

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मिली कुछ राहत

आर्थिक सुधारों से जुड़े कई बिल संसद में फंसने और शेयर बाजार की अस्थिरता से परेशान सरकार के लिए अर्थव्यवस्था के अन्य मोर्चो से कुछ राहत भरी खबर है। मोदी सरकार संतोष जाहिर कर सकती है कि उसके कार्यकाल के पहले वर्ष में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर शून्य से

By Manoj YadavEdited By: Published: Tue, 12 May 2015 07:49 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2015 07:54 PM (IST)
अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मिली कुछ राहत

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आर्थिक सुधारों से जुड़े कई बिल संसद में फंसने और शेयर बाजार की अस्थिरता से परेशान सरकार के लिए अर्थव्यवस्था के अन्य मोर्चो से कुछ राहत भरी खबर है। मोदी सरकार संतोष जाहिर कर सकती है कि उसके कार्यकाल के पहले वर्ष में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर शून्य से बढ़कर 2.8 फीसद हो गई है। यह बाजार और वोटरों की उम्मीदों से भले कम हो, लेकिन राजग को विरासत (2013-14) में 0.1 फीसद की गिरावट वाली औद्योगिक दर हासिल हुई थी। खुदरा महंगाई की दर ने भी उसकी चिंताओं को कुछ कम किया है। अप्रैल में यह 4.87 फीसद पर आ गई, जबकि मार्च में यह 5.17 फीसद थी।

loksabha election banner

मार्च में देश के औद्योगिक उत्पादन ने 2.1 फीसद की रफ्तार से वृद्धि की है। बीता पूरा वित्त वर्ष औद्योगिक उत्पादन के लिहाज से उतार-चढ़ाव वाला रहा। महंगे कर्ज और उपभोक्ता मांग में कमी के चलते औद्योगिक उत्पादन में सुस्त माहौल बना रहा। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर का प्रदर्शन इस दौरान सबसे निराशाजनक रहा। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद औद्योगिक उत्पादन में तेज सुधार देखने को नहीं मिला है। वहीं, खुदरा महंगाई की दर में लगातार कमी हो रही है। अप्रैल में महंगाई के आंकड़ों और मार्च के औद्योगिक उत्पादन की निचली दर ने एक बार फिर ब्याज दरों में कमी के लिए माकूल माहौल तैयार कर दिया है। अलबत्ता खुदरा खाद्य महंगाई दर अब भी पांच फीसद से ऊपर है।

औद्योगिक उत्पादन में बीते वित्त वर्ष में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र ने बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं हुई। पूरे साल में इसकी वृद्धि की दर 2.3 फीसद रही। इसके पिछले वर्ष यह क्षेत्र मात्र 0.8 फीसद की दर से बढ़ा था। बिजली क्षेत्र के उत्पादन में 8.4 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। जहां तक अन्य क्षेत्रों का सवाल है कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर में मांग की कमी पूरे साल बनी रही। वित्त वर्ष के दौरान इसके उत्पादन में साढ़े बारह फीसद की कमी हुई। मांग और उत्पादन में कमी का रुख मार्च में भी कायम रहा और इसमें 4.7 फीसद की कमी आई। अलबत्ता पूंजीगत सामान यानी कैपिटल गुड्स क्षेत्र की विकास दर वित्त वर्ष में सकारात्मक रही और इसमें पिछले साल के 3.6 फीसद की गिरावट के मुकाबले 2014-15 में 6.2 की वृद्धि दर्ज की गई है।

जहां तक खुदरा महंगाई का सवाल है, खाद्य उत्पादों में दालों की कीमतों में अभी बढ़त बनी हुई है। अप्रैल में इसकी कीमतें करीब साढ़े बारह फीसद बढ़ी हैं। सब्जियों की कीमतों में वृद्धि का स्तर 6.63 फीसद रहा है, लेकिन चीनी कीमतों में करीब छह फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।

पढ़ेंःदालों के आयात की तैयारी में सरकार


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.