दालों के आयात की तैयारी में सरकार
सरकार एमएमटीसी जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के जरिये दलहन आयात पर विचार कर रही है ताकि घरेलू आपूर्ति बढ़ाई जा सके और इनकी बढ़ती खुदरा कीमतों पर लगाम लगाई जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सामान्य से कम बारिश और ऑस्ट्रेलिया व कनाडा में उत्पादन घटने की संभावनाओं
नई दिल्ली। सरकार एमएमटीसी जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के जरिये दलहन आयात पर विचार कर रही है ताकि घरेलू आपूर्ति बढ़ाई जा सके और इनकी बढ़ती खुदरा कीमतों पर लगाम लगाई जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सामान्य से कम बारिश और ऑस्ट्रेलिया व कनाडा में उत्पादन घटने की संभावनाओं के बीच उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय दलहन आयात के विकल्पों पर विचार कर रहा है।
भारत सालाना 1.8 से 1.9 करोड़ टन दलहन का उत्पादन करता है लेकिन उसे घरेलू मांग पूरी करने के लिए हर साल 30-40 लाख टन दलहन आयात भी करना पड़ता है। पिछले दो साल में दलहन आयात मुख्य तौर पर निजी व्यापारियों के जरिये हुआ है। खुदरा बाजार में दलहन की कीमतें बढ़ी हैं। राष्ट्रीय राजधानी में फिलहाल तुअर (अरहर) की कीमत 108 रुपये प्रति किलो है जो 8 जनवरी 2015 को 83 रुपये किलो थी। इसी तरह चने की दाल का दाम बढ़कर 68 रुपये प्रति किलो हो गया जबकि मसूर की दाल 94 रुपये किलो हो गई जो समीक्षाधीन अवधि में 84 रुपये किलो थी। मूंग की दाल की कीमत अब 107 रुपये किलो है जो 8 जनवरी को 98 रुपये थी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,'हम कीमत पर निगाह रखे हुए हैं और आयात के लिए हम योजना बना रहे हैं। हम यह पहल इसलिए कर रहे हैं कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में संभावित उत्पादन घटने और वैश्विक मूल्य पर इसके असर की खबरें हैं।'
अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय घरेलू बाजार में दलहन उपलब्धता बढ़ाने के लिए पहल करने पर विचार कर रहा है। दलहन उत्पादन मुख्य तौर पर वर्षासिंचित क्षेत्र में होती है। मॉनसूनी बारिश में कमी से मूंग, उड़द और अरहर के उत्पादन और उनकी कीमत पर असर हो सकता है।