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RBI के रेपो रेट ना बदलने से रियल एस्टेट सेक्टर पर क्या होगा असर? जानें विशेषज्ञों की राय

रियल एस्टेट क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेपो दर को 4 प्रतिशत के निम्न स्तर पर जारी रखने के फैसले से उद्योग को लाभ मिलेगा। बता दें कि आरबीआई ने रेपो दर को लगातार 11वीं बार अपरिवर्तित रखा है।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Sat, 09 Apr 2022 12:41 PM (IST)Updated: Sun, 10 Apr 2022 07:10 AM (IST)
RBI के रेपो रेट ना बदलने से रियल एस्टेट सेक्टर पर क्या होगा असर? जानें विशेषज्ञों की राय

नई दिल्ली, एएनआई। भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो दर को 4 प्रतिशत के निम्न स्तर पर रखने के फैसले से रियल एस्टेट क्षेत्र को लाभ होगा। उद्योग के विशेषज्ञों का ऐसा मानना है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में आरबीआई ने रेपो दर को लगातार 11वीं बार अपरिवर्तित रखा। इसके साथ ही, रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। रेपो रेट को 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा गया है।

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एक्सिस ईकॉर्प के सीईओ और निदेशक आदित्य कुशवाहा ने कहा, "हमारा मानना ​​है कि समान दरों को जारी रखने से रियल एस्टेट क्षेत्र में मांग की गति को बनाए रखने में मदद मिलेगी। किफायती दरों पर होम लोन तक पहुंच से बाजार की धारणा को सुधारने में मदद मिलेगी। इससे अधिक लोग रियल एस्टेट को एक अच्छे निवेश विकल्प के रूप में मूल्यांकन करने के लिए तैयार होंगे।"

AMs प्रोजेक्ट कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक विनीत डूंगरवाल ने कहा, "ब्याज दरों को रोककर आरबीआई लोगों को रियल एस्टेट में निवेश जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश कर रहा है। आरबीआई ने यह भी घोषणा की है कि वह 31 मार्च, 2023 तक नए होम लोन के लिए होम लोन को केवल लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात के साथ जोड़ना जारी रखेगा। दरों को न बढ़ाना और होम लोन को एलटीवी से जोड़ना, रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए सकारात्मक कदम हैं और अल्पकालिक मांग निर्माण में मदद करेंगे।"

वहीं, नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और एमडी शिशिर बैजल ने कहा, "रियल एस्टेट क्षेत्र में लंबी अवधि के लिए कम ब्याज दरों ने मांग को फिर से बढ़ाने में प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में काम किया है। रेपो दर पर यथास्थिति मौजूदा मांग के स्तर को बनाए रखने में मदद करेगी क्योंकि घर खरीदारों और डेवलपर्स के लिए वित्तीय संस्थानों द्वारा ब्याज दरों को अभी के स्तर पर ही बनाए रखा जा सकता है।"


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