मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण से 7 चीजें की गईं, हमने महंगाई का ध्यान रखा: गवर्नर शक्तिकांत दास
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद कहा कि हमने मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण से 7 चीजें की हैं। युद्ध से उपजे कारणों से कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक चली गईं।
नई दिल्ली, एएनआइ। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद कहा कि हमने मौद्रिक नीति के दृष्टिकोण से 7 चीजें की हैं। युद्ध से उपजे कारणों से कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल तक चली गईं। उन्होंने कहा कि प्राथमिकताओं के क्रम में हमने महंगाई को विकास से पहले रखा है। हमारा सारा ध्यान महंगाई को काबू में करने का है। फरवरी 2019 से हम विकास दर को महंगाई से आगे रख रहे थे, लेकिन इस बार हमने इसे उपयुक्त के रूप में संशोधित किया।
मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत
आरबीआई ने शुक्रवार को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए अपने खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया। भू-राजनीतिक तनाव के बीच वैश्विक स्तर पर कीमतों में आए उछाल के चलते केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है। हालांकि, रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि रबी की फसल अच्छी रहने से अनाज और दलहनों के दाम नीचे आएंगे। शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक के नतीजे की घोषणा करते हुए कहा, वैश्विक स्तर पर खाद्य वस्तुओं और धातुओं की कीमतों में उछाल आया है। अर्थव्यवस्था बढ़ती मुद्रास्फीति से प्रभावित है। 2022-23 में मुद्रास्फीति के 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में यह 6.3 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में पांच प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.1 प्रतिशत रहेगी।
भू-राजनीतिक अनिश्चितता से आरबीआई ने वृद्धि अनुमान घटाकर 7.2 प्रतिशत किया
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में आए उतार-चढ़ाव और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ी अड़चनों की वजह से भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के वृद्धि दर अनुमान को 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा बैठक की घोषणा करते हुए कहा कि पिछले दो महीनों में ‘बाहरी’ घटनाक्रमों की वजह से घरेलू वृद्धि के नीचे जाने और मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम पैदा हुआ है।