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महंगाई की भेंट चढ़ सकती है रेपो रेट में कटौती

भले ही ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद लगाए हो, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक की मंशा शायद कुछ और है।

By Anand RajEdited By: Published: Tue, 07 Jun 2016 04:07 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jun 2016 04:17 AM (IST)
महंगाई की भेंट चढ़ सकती है रेपो रेट में कटौती

नई दिल्ली। उद्योग जगत, आम जनता और बाजार भले ही ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद लगाए हो, लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक की मंशा शायद कुछ और है। महंगाई के माहौल को देखते हुए इस बात के आसार कम हैं कि अगस्त से पहले कोई कटौती हो। अर्थव्यवस्था के जानकार भी मानते हैं कि ब्याज दरों में इस बार कटौती की उम्मीद नहीं है। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन मंगलवार को वार्षिक मौद्रिक नीति की समीक्षा करेंगे।

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मंहगाई बड़ी चिंता

बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि खुदरा महंगाई करीब पांच फीसद पर रहने और थोक महंगाई के सकारात्मक होने के कारण आरबीआई गवर्नर शायद ही रेपो रेट में कोई कटौती करें। हां, वह मानसून पर जरूर नजर रखेंगे। मानसून के इस बार अच्छा रहने की संभावना है। अगर ऐसा होता है तो अगस्त में ब्याज दरों में कटौती हो सकती है।

मानसून से तय होगी दिशा

एक अन्य वित्तीय सलाहकार फर्म मॉर्गन स्टेनले भी यही मानती है कि ब्याज दरों की दिशा अब मानसून के आधार पर तय होगी। वैसे ब्याज दरों में कटौती नहीं होने के बावजूद रिजर्व बैंक ने अभी तक जो कटौती की है उसका पूरा फायदा ग्र्राहकों को देने के लिए बैंकों पर दबाव बना सकता है। जनवरी, 2015 के बाद से अभी तक आरबीआई ब्याज दरों में 1.5 फीसद कटौती कर चुका है लेकिन सरकारी बैंकों की तरफ से औसतन 0.60 फीसद की ही कमी की गई है।

प्रोत्साहन देने की आवश्यकता

वैसे उद्योग जगत के तमाम लोगों का कहना है कि जब आर्थिक विकास की दर आठ फीसद के करीब पहुंच चुकी है तो अब आरबीआई को ब्याज दरों को घटाकर औद्योगिक क्षेत्र को नए सिरे से प्रोत्साहन देना चाहिए। अर्थव्यवस्था के ताजे आंकड़े बताते हैं कि चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च, 2016) में आर्थिक विकास दर के 7.9 फीसद पर पहुंच जाने के बावजूद कई उद्योगों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। अगर रेपो रेट को और घटा दिया जाए तो औद्योगिकी मंदी को दूर करने में मदद मिलेगी।

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भविष्य में समीक्षा की समिति

यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि आरबीआई गवर्नर की यह अंतिम मौद्रिक नीति समीक्षा हो सकती है। सरकार ने मौद्रिक नीति बनाने के लिए एक नई समिति गठित कर रही है। समिति अगस्त से काम शुरू कर सकती है। समिति के गठन के बाद ब्याज दरों को तय करने में आरबीआई गवर्नर की भूमिका सीमित हो जाएगी।

वैसे इस समिति में आरबीआई गवर्नर भी शामिल होंगे लेकिन उन्हें अंतिम फैसला करने का अधिकार नहीं होगा। सरकार और आरबीआई के बीच महंगाई दर का जो लक्ष्य तय किया जाएगा, यह समिति उसी के मुताबिक ब्याज दरों को बढ़ाएगी या घटाएगी।

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