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सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर फिरा पानी, RBI ने नहीं घटाई ब्याज दर

रघुराम राजन ने एक बार फिर होम लोन, ऑटो लोन की मासिक किस्तों के कम होने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।

By Shashi Bhushan KumarEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2015 11:20 AM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2015 11:21 AM (IST)
सस्ते कर्ज की उम्मीदों पर फिरा पानी, RBI ने नहीं घटाई ब्याज दर

नई दिल्ली। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फिर होम लोन, ऑटो लोन की मासिक किस्तों के कम होने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। वित्त वर्ष की तीसरी मौद्रिक नीति पेश करते हुए राजन ने रेपो रेट, बैंक दर और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई के इस कदम से आम जनता व उद्योग जगत के साथ ही सरकार निराश हुई है।

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ब्याज दरों को यथावत रखने के पीछे राजन ने खुदरा महंगाई की दरों के ज्यादा होने, ग्रीस व चीन की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता और घरेलू अर्थव्यवस्था में सुधार के अभी तक साफ संकेत नहीं मिलने को वजह बताया है। आरबीआई भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं है। निर्यात में गिरावट और खुदरा महंगाई की दर में लगातार बढ़ोतरी को आरबीआई ने खासतौर पर चिंताजनक माना है।

राजन ने वार्षिक मौद्रिक नीति की मंगलवार को तीसरी बार समीक्षा करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया अभी जारी है। वैसे, उन्होंने माना है कि मानसून सामान्य के करीब है। सिंचाई की स्थिति भी ठीक नजर आ रही है। इस तरह से खरीफ का उत्पादन भी पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर होने की संभावना है। वर्ष 2015-16 के लिए आर्थिक विकास दर के लक्ष्य को आरबीआई ने मौजूदा 7.6 फीसद के स्तर पर ही बरकरार रखा है। राजन ने संकेत दिए कि अगर अर्थव्यवस्था के विभिन्न मोर्चे पर और सकारात्मक संकेत मिलते हैं तो केंद्रीय बैंक जल्द ब्याज दरों को घटाने का कदम उठा सकता है।

बैंकों को लताड़

आरबीआई ने रेपो रेट (इस दर से ही अल्पकालिक ऋण की दरों मसलन होम लोन, ऑटो लोन आदि को तय किया जाता है) को 7.25 फीसद पर स्थिर रखा है। नकद आरक्षित अनुपात को भी चार फीसद पर ही बनाए रखा है। इनमें कटौती से बैंकों से कर्ज की दरों के कम होने का रास्ता साफ होता है।

आरबीआई गवर्नर ने बैंकों को लताड़ लगाई है कि जनवरी, 2015 के बाद से रेपो रेट में 0.75 फीसद की कटौती के बावजूद बैंकों ने कर्ज की दरों में औसतन 0.30 फीसद की कटौती ही की है। बैंकों को अब कर्ज को सस्ता करना चाहिए क्योंकि कर्ज लेने की रफ्तार बढ़ रही है। इससे बैंकों को फायदा होगा। साथ ही सरकार ने बैंकों को अतिरिक्त पूंजी देने का जो फैसला किया है उससे भी उनको लागत कम रखने में मदद मिलेगी।

सलाह नहीं आई रास

लगता है कि बैंकों को आरबीआइ गवर्नर की यह सलाह कुछ खास रास नहीं आई है। बैंकरों ने तत्काल ब्याज दरों में कटौती की किसी संभावना से इन्कार किया है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) की मुखिया अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा है कि अभी तो हाल फिलहाल कर्ज की दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है। देश के तमाम उद्योग चैंबरों ने ब्याज दरों को स्थिर बनाए रखने के फैसले पर निराशा जताई है।

वैसे, आइसीआइसीआई बैंक की प्रमुख चंदा कोचर ने कहा कि रिजर्व बैंक ने उम्मीद के अनुरूप कदम उठाया है। सरकार को भी सस्ते कर्ज की काफी उम्मीदें थीं। सोमवार को ही वित्त मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने कहा था कि यह ब्याज दरों को घटाने का सही समय है।

उद्योग जगत में निराशा

'ब्याज दरों में कटौती अर्थव्यवस्था में निवेश चक्र को बनाए रखने के लिए जरूरी थी। इससे निवेशकों को यह संकेत जाता कि सरकार व केंद्रीय बैंक निवेश के माहौल को लेकर कितने गंभीर है।'
-सीआइआई

'ब्याज दरों में कटौती नहीं करना बेहद निराशाजनक है। मांग और निवेश को बढ़ावा देने के लिए ऐसा करना जरुरी था।'

-फिक्की

'उद्योग जगत के सामने अभी सबसे बड़ी दिक्कत ब्याज की उच्च दरें हैं। केंद्रीय बैंक ने माना है कि मानसून सामान्य है और खरीफ उत्पादन बढ़ने वाला है। फिर भी ब्याज दरों में कटौती नहीं होना आश्चर्यजनक है।'
-एसोचैम

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