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विलफुल डिफॉल्टर्स पर कसेगी लगाम, पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री बनाने के लिए RBI ने चुनी छह IT कंपनियां

देश के कुल बैंकों का एनपीए फिलहाल 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जिसमें करीब 80 फीसद से ज्यादा की हिस्सेदारी सरकारी बैंकों की है।

By Abhishek ParasharEdited By: Published: Mon, 24 Dec 2018 06:57 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2018 10:45 AM (IST)
विलफुल डिफॉल्टर्स पर कसेगी लगाम, पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री बनाने के लिए RBI ने चुनी छह IT कंपनियां

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। बैंकों के कर्जदारों और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले (विलफुल डिफॉल्टर्स) का लेखा जोखा रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कमर कस ली है। आरबीआई इस काम के लिए अब पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री बनाने जा रहा है, जिसके लिए उसने देश की छह दिग्गज आईटी कंपनियों का चयन किया है। इसमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), विप्रो और आईबीएम इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं।

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प्रस्तावित पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री में शेयर बाजार, कॉरपोरेट मिनिस्ट्री, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी बोर्ड ऑफ इंडिया (आईबीबीआई) के भी डेटा को शामिल किया जाएगा ताकि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को मौजूदा कर्जदारों के साथ कर्ज का आवेदन करने वाले व्यक्ति के बारे में रियल टाइम पर सभी जानकारियां मिल सकें।

आरबीआई ने कहा, ’27 अक्टूबर 2018 को इस बारे में अभिरुचि पत्र जारी किए जाने के बाद इस व्यवस्था को बनाने के लिए हमें कई कंपनियों से फीडबैक मिला है।’ कंपनियों की प्रतिक्रिया की समीक्षा किए जाने के बाद आरबीआई ने छह कंपनियों का चयन किया है। अन्य तीन चुनी गई कंपनियों में कैपजेमिनी टेक्नोलॉजी सर्विसेज इंडिया, डन एंड ब्रॉडस्ट्रीट इंफॉर्मेशन सर्विसेज इंडिया और माइंडट्री शामिल हैं। आरबीआई जल्द ही इन कंपनियों से प्रस्ताव मंगाएगी।

इस साल जून में आरबीआई ने पब्लिक क्रेडिट एजेंसी को बनाए जाने की घोषणा की थी ताकि देश में बैंकों के कर्ज से जुड़ी जानकारियों को पारदर्शी तरीके से साझा किया जा सके।

बैंकिंग सिस्टम में बढ़ते एनपीए ने बढ़ाई चिंता देश की बैंकिंग व्यवस्था के लिए एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) का बढ़ता स्तर काफी चिंताजनक है। इसकी एक बड़ी वजह बैंकों के पास रियल टाइम पर कर्ज लेने वाली कंपनियों या व्यक्ति के बारे में पूरी जानकारी का नहीं होना है। पब्लिक क्रेडिट रजिस्ट्री बनने के बाद कर्ज के लेन-देने को लेकर पारदर्शिता बढ़ेगी। देश के कुल बैंकों का एनपीए फिलहाल 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है, जिसमें करीब 80 फीसद से ज्यादा की हिस्सेदारी सरकारी बैंकों की है।

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