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मनमोहन ने उठाया अमेरिकी आव्रजन कानूनों का मुद्दा

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ द्विपक्षीय बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय आइटी पेशेवरों की चिंता को पुरजोर ढंग से उठाया है। मनमोहन ने कहा कि अमेरिकी आव्रजन कानून में प्रस्तावित बदलावों से भारतीय आइटी पेशेवरों पर बुरा असर पड़ेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस मसले पर भारतीय उद्योग जगत की सभी चिंताओं पर ध्यान देने का भरोसा जताया है।

By Edited By: Published: Sun, 29 Sep 2013 05:46 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
मनमोहन ने उठाया अमेरिकी आव्रजन कानूनों का मुद्दा

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ द्विपक्षीय बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारतीय आइटी पेशेवरों की चिंता को पुरजोर ढंग से उठाया है। मनमोहन ने कहा कि अमेरिकी आव्रजन कानून में प्रस्तावित बदलावों से भारतीय आइटी पेशेवरों पर बुरा असर पड़ेगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस मसले पर भारतीय उद्योग जगत की सभी चिंताओं पर ध्यान देने का भरोसा जताया है।

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वाशिंगटन में ओबामा के साथ करीब तीन घंटे तक चली बैठक में सिंह ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था और रोजगार निर्माण में भारतीय आइटी पेशेवरों का काफी बड़ा योगदान है। इसके अलावा आइटी क्षेत्र दोनों देशों के संबंधों में मजबूती का अहम जरिया है। इस क्षेत्र में कोई भी बाधा संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। अमेरिकी आव्रजन कानून में प्रस्तावित बदलावों पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सेवाओं के प्रवाह पर किसी भी तरह की बंदिश का भारत पर बुरा असर पड़ेगा।

इसके जवाब में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह आव्रजन कानून में बदलाव से संबंधित भारत की सभी चिंताओं पर ध्यान देंगे। कानून में प्रस्तावित बदलाव की प्रक्रिया में अभी कुछ महीने लगेंगे। इस मसले पर अमेरिकी संसद विचार कर रही है। कानून की कमियों को दूर करने के लिए इसमें बदलावों की जरूरत है।

इसके बाद न्यूयॉर्क में कारोबारियों की एक बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय आइटी कंपनियां भारत-अमेरिका संबंधों का सबसे अहम केंद्र हैं। इस क्षेत्र में कोई भी बाधा पड़ने से भारत में अमेरिका की छवि पर असर पड़ेगा। दोनों देशों की आर्थिक साझेदारी प्रभावित होगी। उन्होंने उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से अपील की कि वे विधायी और प्रशासनिक उपायों के जरिये भारतीय आइटी क्षेत्र के लिए बाधाएं खड़ी करने के प्रयासों का विरोध करें।

प्रधानमंत्री ने अमेरिकी कंपनियों को भारत में आधारभूत संरचना और रक्षा क्षेत्र में निवेश का न्योता भी दिया। साथ ही कहा कि भारत की विकास संभावनाओं व नीतियों को लेकर चिंता गलत धारणाओं की वजह से पैदा हुई है। उनकी सरकार देश में निवेश अनुकूल माहौल और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

पांच गुना बढ़ाएंगे आपसी व्यापार

भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय कारोबार में पांच गुना वृद्धि का लक्ष्य रखते हुए दोनों देशों ने व्यापार और निवेश की सभी बाधाएं दूर करने के लिए तेजी से कदम उठाने का संकल्प जताया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की बैठक में यह प्रतिबद्धता जताई गई है।

बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि वर्ष 2001 के बाद से दोनों देशों का कारोबार पांच गुना बढ़कर 100 अरब डॉलर हुआ है। अब दोनों देश इस कारोबार में पांच गुना और बढ़ोतरी करने के लिए व्यापार की सभी बाधाएं दूर करने पर सहमत हुए हैं। इसके लिए देशों के प्रमुखों ने जल्दी ही एक उच्च स्तरीय द्विपक्षीय निवेश संधि को अंजाम देने की घोषणा की है। इस संधि के जरिये दोनों देशों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, रोजगार निर्माण, निवेश में वृद्धि और पारदर्शिता में सुधार के उपाय किए जाएंगे। इसके अलावा विनिर्माण क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए संयुक्त समिति का गठन करने के प्रस्ताव पर भी सहमति बनी।


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