उत्पादन बढ़ाने को ONGC ने टोटल इनर्जी का हाथ थामा, भविष्य में ऊर्जा से जुड़े क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार
ऑफशोर इलाकों में तेल व गैस खोज में बेहतरीन प्रक्रिया अपनाने में मदद मिलेगी और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहयोग किया जाएगा। बंगाल की खाड़ी में सहयोग के भावी संभावनाओं की खोज की जाएगी। (जागरण - फोटो)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कारण चाहे घरेलू उत्पादन को बढ़ाने को लेकर बढ़ता दबाव हो या तकनीकी क्षेत्र पर पीछे रहने की विवशता, देश की सबसे बड़ी तेल कंपनी ओएनजीसी को अब विदेशी कंपनी का हाथ थामना पड़ा है। ओएनजीसी ने फ्रांस की विश्वविख्यात ऊर्जा कंपनी टोटल इनर्जी के साथ समझौता किया है।
किसलिए किया गया है यह समझौता
अभी बताया गया है कि यह समझौता तकनीकी सहयोग और एक दूसरे के अनुभवों को साझा करने के लिए है जिसका इस्तेमाल महानदी और अंडमान के क्षेत्रों में पेट्रोलियम उत्पादों की खोज व खनन में किया जाएगा। लेकिन यह भी संकेत दिया गया है कि भविष्य में इस समझौते का विस्तार करके ऊर्जा के दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग किया जाएगा।
टोटल इनर्जी अभी तक अदाणी समूह के साथ ऊर्जा सेक्टर में काफी सहयोग बढ़ा रही थी। यह पहला मौका है कि उसने भारत की सबसे बड़ी सरकारी तेल कंपनी के साथ व्यापक समझौता किया है। ओएनजीसी की निदेशक (एक्सप्लोरेशन) सुषमा रावत ने कहा है कि हम संयुक्त तौर पर एक्सप्लोरेशन (हाइड्रोकार्बन खनन) में सहयोग करेंगे।
खाड़ी में सहयोग के भावी संभावनाओं की खोज
खास तौर पर ऑफशोर इलाकों में तेल व गैस खोज में बेहतरीन प्रक्रिया अपनाने में मदद मिलेगी और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सहयोग किया जाएगा। बंगाल की खाड़ी में सहयोग के भावी संभावनाओं की खोज की जाएगी। रावत ने दैनिक जागरण को कुछ हफ्ते पहले बताया था कि वर्ष 2023-24 कंपनी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस साल से कंपनी तेल व गैस उत्पादन में लगातार हो रही गिरावट को थाम लेगी और आने वाले वर्षों में इसमें इजाफा होगा।
भारत अपनी जरूरत का कुल 86 फीसद तेल करता है आयात
ओएनजीसी की तरफ से तेल व गैस में गिरावट होने को लेकर पिछले वर्ष पेट्रोलियम मंत्रालय की संसदीय समिति ने भी अपनी नाराजगी जताई थी और कंपनी को इस पर काम करने को कहा था। सरकार ने पहले वर्ष 2020 तक आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता 10 फीसद कम करने की योजना बनाई थी लेकिन असलियत में अब भारत ज्यादा तेल आयात कर रहा है।
भारत अपनी जरूरत का कुल 86 फीसद तेल आयात करता है और इसके लिए बहुत हद तक कारण ओएनजीसी के उत्पादन में लगातार गिरावट का रुख है। कंपनी ने हाल ही में अरब सागर में तेल उत्खनन को तेज करने के लिए कुल दो अरब डॉलर के नये निवेश की घोषणा की है। कंपनी भारत के कुल तेल उत्पादन का तकरीबन दो तिहाई उत्पादन करती है।