कम इनपुट क्रेडिट टैक्स क्लेम करने वालों को नोटिस, राजस्व विभाग ने तैयार की सूची
कंसल्टेंसी कंपनी अर्नेस्ट एंड यंग (ईवाई) के पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि जीएसटीआर-2ए में कई ऐसे क्षेत्रों के टैक्स भी दर्ज हुए होंगे जो इनपुट क्रेडिट टैक्स के दायरे में नहीं आते
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। जिन व्यवसायियों ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) द्वारा दिखाए जा रहे क्लेम के मुकाबले कम आइजीएसटी इनपुट क्रेडिट टैक्स का दावा किया है, उन्हें नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। टैक्स अधिकारियों के मुताबिक इस कवायद का मकसद यह जानना है कि इस तरह के अंतर के पीछे वास्तविक कारण हैं या व्यवसायी टैक्स चोरी कर रहे हैं।
राजस्व विभाग ने हाल ही में बिग डाटा एनालिटिक्स के माध्यम से ऐसे कारोबारियों की सूची तैयार की, जिन्होंने जीएसटीआर-2ए में दिख रहे टैक्स क्रेडिट के मुकाबले जीएसटीआर-3बी में कम आइजीएसटी इनपुट क्रेडिट टैक्स (आइटीसी) की मांग की है। गौरतलब है कि बिग डाटा एनालिटिक्स के तहत किसी के बारे में मालूम एक या दो सूचनाओं का विश्लेषण कर अन्य कई जानकारियां जुटाई जा सकती हैं। अधिकारियों के मुताबिक बिग डाटा एनालिटिक्स के लिए विभाग ने जीएसटी के शुरुआती नौ महीनों यानी पिछले वर्ष जुलाई से लेकर इस वर्ष मार्च तक कारोबारियों द्वारा दाखिल आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
अधिकारियों का कहना है कि मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु के कई कारोबारियों को कम आइजीएसटी इनपुट क्रेडिट टैक्स का दावा करने के खिलाफ नोटिस भेजे गए हैं। वित्त मंत्री की अध्यक्षता वाली जीएसटी काउंसिल ने इस वर्ष मार्च में टैक्स अधिकारियों को उपलब्ध आंकड़ों के और गहराई से विश्लेषण और टैक्स-चोरी के रास्तों का पता लगाने का निर्देश दिया था।
कंसल्टेंसी कंपनी अर्नेस्ट एंड यंग (ईवाई) के पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि जीएसटीआर-2ए में कई ऐसे क्षेत्रों के टैक्स भी दर्ज हुए होंगे जो इनपुट क्रेडिट टैक्स के दायरे में नहीं आते। अंतर की एक वजह तो यह हो सकती है। लेकिन सरकार के नोटिस का दूसरा सकारात्मक पहलू यह भी है कि जो कारोबारी कई मदों के टैक्स क्रेडिट मांगना भूल गए होंगे, वे अगले महीनों में इसे वापस मांग सकते हैं। वहीं, डेलॉय इंडिया के पार्टनर एम. एस. मणि ने कहा कि सप्लायर की तरफ से भी कई ऐसी त्रुटियां हो सकती हैं, जिन पर खरीदार का कोई नियंत्रण नहीं होता है। टैक्स अधिकारियों को इस पर भी ध्यान देना चाहिए।