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Loan Moratorium Case: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, कहा- पूरा ब्याज माफ करने का आदेश नहीं दिया जा सकता

उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि लोन मोरेटोरियम की अवधि के ब्याज को पूरी तरह माफ करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। जस्टिस एम आर शाह ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि पूरे ब्याज को माफ करना इसलिए मुमकिन नहीं है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Tue, 23 Mar 2021 11:32 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 06:38 AM (IST)
Loan Moratorium Case: सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, कहा- पूरा ब्याज माफ करने का आदेश नहीं दिया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लोन मोरेटोरियम मामले में अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को लोन मोरेटोरियम मामले में अपना बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि लोन मोरेटोरियम की अवधि के ब्याज को पूरी तरह माफ करने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। जस्टिस एम आर शाह ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि पूरे ब्याज को माफ करना इसलिए मुमकिन नहीं है क्योंकि इस फैसले का असर डिपोजिटर्स पर भी पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा आरबीआई और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बाद ऐसा नहीं कहा जा सकता है कि उन्होंने बॉरोअर्स की समस्याओं का समाधान नहीं किया।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मुख्य रूप से ये बातें कहीं

  • लोन मोरेटोरियम मामले पर अपना निर्णय सुनाते हुए जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि इस केस में किसी तरह का परमादेश (रिट ऑफ मैंडेमस) जारी नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार को निर्णय करना है।
  • जस्टिस शाह ने कहा है कि न्यायालय व्यापार और वाणिज्य से जुड़े अकादमिक मामलों पर डिबेट नहीं करेगा। हम यह निर्णय नहीं कर सकते हैं कि पब्लिक पॉलिसी और बेहतर हो सकती थी। इस मुद्दे को सुलझाने को लेकर सरकार की अपनी सीमाएं हैं। 
  • जस्टिस शाह के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संबंधित पक्षों को सुना है और इस मामले में न्यायिक समीक्षा की गुंजाइश नहीं है। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ब्याज को पूरी तरह से माफ करना संभव नहीं है क्योंकि उन्हें अकाउंटहोल्डर्स से जमाकर्ताओं और पेंशनभोगियों को ब्याज का भुगतान करना है। 
  • उच्चतम न्यालाय ने सरकार और आरबीआई की लोन मोरेटोरियम पॉलिसी में किसी तरह के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। इसके साथ ही लोन मोरेटोरियम की अवधि को छह माह से अधिक करने से भी मना कर दिया। 
    • उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कर्ज लेने वालों से मोरेटोरियम अवधि के लिए ब्याज पर ब्याज या दंडस्वरूप ब्याज नहीं वसूला जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अगर पहले किसी तरह का चार्ज लिया गया है तो उसे रिफंड, क्रेडिट या फिर एडजस्ट किया जाएगा। 
    • सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट और पावर सेक्टर सहित विभिन्न ट्रेड एसोसिएशन्स की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट से लोन मोरेटोरियम की अवधि का विस्तार करने का आदेश देने का आग्रह किया गया था।

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