श्रम संगठनों ने न्यूनतम मजदूरी पर गुमराह करने का लगाया आरोप
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआइटीयूसी) के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि न्यूनतम दैनिक मजदूरी 350 रुपये करने का कोई प्रस्ताव नहीं था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। श्रम संगठनों ने न्यूनतम मजदूरी को लेकर सरकार पर श्रमिकों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय परामर्श समिति ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाकर 350 रुपये प्रतिदिन करने के किसी प्रस्ताव पर चर्चा ही नहीं की। गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को न्यूनतम दैनिक मजदूरी 246 रुपये से बढ़ाकर 350 रुपये करने की घोषणा की थी।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआइटीयूसी) के सचिव डीएल सचदेव ने कहा कि न्यूनतम दैनिक मजदूरी 350 रुपये करने का कोई प्रस्ताव नहीं था। सोमवार को हुई केंद्रीय परामर्श समिति की बैठक अनिर्णीत रही थी। बैठक के दौरान कर्मचारी संघों ने न्यूनतम मजदूरी 18,000 रुपये प्रतिमाह या 692 रुपये प्रतिदिन करने की मांग की थी। साथ ही सरकार से न्यूनतम मजदूरी कानून में संशोधन कर सार्वभौम मजदूरी का प्रावधान करने को कहा था। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केंद्र द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी सार्वभौमिक रूप से लागू नहीं होती क्योंकि श्रम संविधान की समवर्ती सूची में है। इसलिए राज्य केंद्र द्वारा तय न्यूनतम मजदूरी से कम या ज्यादा तय कर सकते हैं।
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीआइटीयू) के महासचिव तपन सेन ने श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर कहा कि आपने कहा है कि 29 अगस्त 2016 की बैठक में लिए गए निर्णयों के अनुसार सरकार ने न्यूनतम दैनिक मजदूरी 350 रुपये तय करने का फैसला किया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 30 अगस्त को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सरकार ने न्यूनतम मजदूरी के संबंध में परामर्श समिति की सिफारिश को स्वीकार कर लिया है। सेन ने कहा कि ये दोनों बयान सच्चाई से परे हैं। बैठक में 350 रुपये न्यूनतम मजदूरी का प्रस्ताव सरकार की तरफ से आया ही नहीं।
मजदूरी वृद्धि ऐतिहासिक : जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने न्यूनतम दैनिक मजदूरी वृद्धि को ऐतिहासिक करार दिया है। उन्होंने बुधवार को कहा कि यह बढ़ोतरी भारत में परिवर्तन लाने और श्रम सुधारों की तरफ बढ़ाया गया कदम है। साथ ही कहा कि 2014-15 और 2015-16 के लिए संशोधित बोनस देने का फैसला श्रमिकों की भलाई के लिए काम करने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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