आरबीआइ की सरकार को नसीहत अब दें श्रम व भूमि सुधार पर जोर
आरबीआई की तरफ से अर्थव्यवस्था पर जारी एक रिपोर्ट में सरकार को श्रम व भूमि सुधार पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की सलाह दी गई है।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। पिछले कुछ महीनों के दौरान आर्थिक सुधार से जुड़े कई अहम कदम उठा चुकी केंद्र सरकार को अब श्रम व भूमि सुधार पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए। यह सुझाव भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से अर्थव्यवस्था पर सोमवार को जारी रिपोर्ट में दिया गया है। रिपोर्ट ने देश की अर्थव्यस्था की मौजूदा तस्वीर को कमोबेश ठीकठाक बताया है, लेकिन यह भी कहा है कि आने वाले दिनों में स्थितियां तेजी से बदल सकती हैं। खास तौर पर जिस तरह ग्लोबल चुनौतियां बढ़ रही हैं, उसका खामियाजा भारतीय अर्थव्यवस्था को भी भुगतना पड़ सकता है।
रिपोर्ट ने माना है कि अगले कुछ महीनों के दौरान वेतन आयोग की सिफारिशों, जीएसटी और बेहतर मानसून का देश की अर्थव्यवस्था पर काफी सकारात्मक असर पडे़गा। इनसे घरेलू मांग को बढ़ाने में मदद मिलेगी जिससे आर्थिक विकास की संभावित दर 7.6 फीसद से भी ज्यादा रह सकती है। लेकिन इसके साथ ही ग्लोबल हालात जिस तरह से हैं, उसे देखते हुए हमें विदेशी मुद्रा के देश से बाहर जाने की चुनौती का सामना करने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। यह भी हो सकता है कि दुनिया के कुछ देशों में संरक्षणवादी कदम उठाए जाएं जिसका भारत समेत तमाम देशों पर प्रतिकूल असर पड़े।
ऐसे में रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रम व भूमि सुधार पर हमें सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। ये दोनों सुधार न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए जरूरी हैं, बल्कि रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए भी ये बेहद जरूरी हैं। रिजर्व बैंक ने कहा है कि मौजूदा श्रम कानून तेज आर्थिक विकास की राह में सबसे बड़ी अड़चन है। खास तौर पर मझोले व बड़े औद्योगिक संस्थानों का विकास कड़े श्रम कानूनों की वजह से नहीं हो पा रहा है। इसी तरह से भूमि सुधार को लेकर हम कुछ नहीं कर रहे हैं और इसकी वजह से निवेश बढ़ाने की कोशिशों को सफलता नहीं मिल रही है।
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रिपोर्ट ने बिजली वितरण और बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए सरकार की तरफ से उठाए जाने वाले कदमों की सफलता को भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अहम बताया है। सरकार से आग्रह किया गया है कि फंसे कर्जे की समस्या से निपटने के लिए देश में एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) को और बढ़ावा दिया जाना चाहिए। दुनिया के कई देशों में एआरसी ने फंसे कर्जे की समस्या से निजात पाने में काफी अहम भूमिका निभाई है। भारत में भी यह काम हो सकता है।
महंगाई में नरमी पर दरों में कमी
सालाना रिपोर्ट की प्रस्तावना में केंद्रीय बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने लिखा है कि महंगाई दर के अनुमान लक्ष्य से अब भी ज्यादा हैं। इसमें नरमी आने पर ही नीतिगत दरों में कटौती की जा सकती है। खुदरा महंगाई दर करीब दो साल के ऊंचे स्तर 6.07 फीसद पर है। जबकि थोक महंगाई दर जुलाई में 23 महीने के उच्चतम स्तर 3.55 फीसद पर पहुंच गई है।
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