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    Moonlighting से आखिर क्यों घबराई हैं आईटी कंपनियां, जानिए क्या है पूरा प्रकरण

    By Abhinav ShalyaEdited By:
    Updated: Sat, 24 Sep 2022 04:42 PM (IST)

    Moonlighting के कारण हाल ही में देश की बड़ी आईटी कंपनी विप्रो ने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था। कंपनी के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने तो मूनलाइटिंग को कंपनियों के साथ धोखा करार दिया है। इसे लेकर टीसीएस और आईबीएस जैसी कंपनियां भी आपत्ति जाता चुकी है।

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    IT companies worry about moonlighting know the details

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश में इस समय में 'मूनलाइटिंग' (Moonlighting) पर काफी चर्चा हो रही है। कोई इसे कंपनियों के साथ धोखा बता रहा है, तो वहीं कोई इसका समर्थन कर रहा है। आइए जानते हैं कि आखिर मूनलाइटिंग क्या है और इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?

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    जब भी किसी व्यक्ति की ओर से एक कंपनी में नौकरी करते हुए किसी दूसरे नियोक्ता के यहां चोरी- छिपे नौकरी की जाती है, तो उसे मूनलाइटिंग कहा जाता है। आमतौर किसी कर्मचारी की ओर से सुबह 9 से शाम 5 बजे तक की नौकरी के बाद दूसरी नौकरी की जाती है। इसलिए इसे मूनलाइटिंग नाम दिया गया है।

    मूनलाइटिंग की शुरुआत

    मूनलाइटिंग की शुरुआत पश्चिमी देशों से हुई है, इन देशों में इसे लेकर अलग से नियम भी बनाए हुए हैं। वहीं, भारत में इसकी शुरुआत कोरोना के दौरान हुई। जब कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम की वजह से एक साथ दूसरी कंपनियों में भी नौकरियां करने लगे हैं।

    मूनलाइटिंग से परेशान आरईटी कंपनियां

    हाल ही में देश की दिग्गज आईटी कंपनी विप्रो ने मूनलाइटिंग के कारण 300 से अधिक कर्मचारियों को निकाल दिया था, जिसके बाद इस पर बहस शुरू हो गई है। इससे पहले इंफोसिस, आरबीएम और टीसीएस जैसी बड़ी कंपनियां मूनलाइटिंग को लेकर अपनी आपत्ति जाता चुकी है।

    विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने तो मूनलाइटिंग को कंपनियों के साथ धोखा करार दिया है। उन्होंने ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (AIMA) के कार्यक्रम में कहा था कि मूनलाइटिंग कंपनी के प्रति निष्ठा का उल्लंधन है।

    दूसरी तरफ टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी ने इसका समर्थन करते हुए कहा था कि हमें बदलावों को स्वीकार करना जरूरी है। हमें समय के साथ बदलते रहना जरूरी है। हम इस बदलाव का स्वागत करते हैं।

    आईटी राज्य मंत्री का बयान

    मूनलाइटिंग पर देश के आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि फ्रीलांसिंग कभी भी कंपनी में आपके दायित्व की कीमत पर नहीं आना चाहिए। हालांकि कॉर्पोरेट सेक्टर को भी इस बात को समझना चाहिए कि आज का युवा अपनी स्किल का उपयोग करके एक साथ कई काम करना चाहता है। उन्हें दबाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

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