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ब़़ढ रहा शक्कर का भंडार, निर्यात की तैयारी

देश में शक्कर का ब़़ढता भंडार कम करने के लिए सरकार ने कई देशों को इसके निर्यात के लिए चर्चा शुरू कर दी है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि पिछले चार साल से भंडार लगातार ब़़ढ रहा है। सीतारमण ने कहा कि शकर के ब़़ढते भंडार के

By Sudhir JhaEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2015 07:03 PM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2015 07:23 PM (IST)
ब़़ढ रहा शक्कर का भंडार, निर्यात की तैयारी

चेन्नई । देश में शक्कर का ब़़ढता भंडार कम करने के लिए सरकार ने कई देशों को इसके निर्यात के लिए चर्चा शुरू कर दी है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि पिछले चार साल से भंडार लगातार ब़़ढ रहा है। सीतारमण ने कहा कि शक्कर के ब़़ढते भंडार के कारण शक्कर मिलों को किसानों का भुगतान करने में कठिनाई हो रही है। स्थिति विकट हो गई है। इसलिए सरकार कुछ हल निकालने में लगी है। समाधान की तलाश हो रही है, अभी किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं।

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दालों के बदले शक्कर निर्यात

वाणिज्य मंत्री ने बताया कि विदेश मंत्रालय के जरिए विभिन्न देशों से उनकी दालों के आयात पर भी चर्चा चल रही है। अफ्रीकी देशों, म्यांमार, कनाडा से दालें मिलने की उम्मीद है। हम दाल आयात के बदले शक्कर निर्यात करना पसंद करेंगे। इस विकल्प पर सरकार काम कर रही है।

ब़़ढा स्टॉक, घटे दाम

उल्लेखनीय है कि देश में लगातार छठे साल शक्कर उत्पादन 2.83 करो[ड़ टन को पार करने का अनुमान है। इस कारण भाव निरंतर घटते हुए 2000 से 2500 रपए प्रति क्विंटल तक आ गए हैं।

कृषि वस्तुओं का भंडार ग़़डब़़डाया

इसके पूर्व एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वाणिज्य मंत्री ने कहा कि कुछ कृषि उत्पादों के उत्पादन में कमी चिंताजनक है। सिंचाई के तरीकों व अधिकतम विक्रय मूल्य के कारण किसान अपनी आय ब़़ढाने के लिए अन्य फसलों की ओर मुड़े हैं। इससे कुछ कृषि उत्पादों का उत्पादन निरंतर घट रहा है। इस कारण देश की कृषि वस्तुओं का भंडार ग़़डब़़डा गया है।

रबर उत्पादन को ब़़ढावा

देश में रबर उत्पादन का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि यह सुपीरियर क्वालिटी का होता है और सरकार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना में गैर परंपरागत क्षेत्रों जैसे त्रिपुरा व उत्तर--पूर्व में इसके उत्पादन को ब़़ढावा देने की योजना बनाई है। ऐसी पहल से भारतीय रबर का उत्पादन ब़़ढेगा और घरेलू बाजार की मांग की पूर्ति हो सकेगी।

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