वस्तु विनिमय प्रणाली से चीनी निर्यात की तैयारी
चीनी के भारी स्टॉक से तंग चीनी उद्योग और गन्ने का बकाया नहीं मिलने से किसानों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार निर्यात की संभावनाएं तलाशने में जुट गई है। चीनी निर्यात के बदले अन्य कृषि उत्पाद आयात करने की नई नीति पर भी विचार किया जा रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । चीनी के भारी स्टॉक से तंग चीनी उद्योग और गन्ने का बकाया नहीं मिलने से किसानों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार निर्यात की संभावनाएं तलाशने में जुट गई है। चीनी निर्यात के बदले अन्य कृषि उत्पाद आयात करने की नई नीति पर भी विचार किया जा रहा है। इस तरह कुल 40 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इससे चीनी मिलों को 14 हजार करोड़ रुपये का गन्ना बकाया चुकाने में सहूलियत होगी।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने गुरुवार को यहां बताया कि इस वस्तु विनिमय प्रणाली (बार्टर सिस्टम) से चीनी निर्यात की संभावना बन सकती है। इस चीनी का निर्यात उन देशों को करना चाहते हैं, जहां इसकी मांग है। साथ ही इसके बदले वहां से जरूरत के अन्य कृषि उत्पादों का आयात करने पर विचार कर रहे है, जिनमे खाद्य तेल व दलहन प्रमुख हैं।
पासवान यहां पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने चीनी निर्यात को अनिवार्य बताते हुए कहा कि फिलहाल इस संबंध में अभी कोई फैसला नहीं लिया जा सका है। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी उद्योग और गन्ना किसानों की मुश्किलें सुलझाने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई थी। उन्होंने सभी संबद्ध मंत्रालयों को समस्या सुलझाने के लिए ठोस प्रस्ताव पेश करने को कहा था। इसमें चीनी निर्यात के साथ इस मसले का दूरगामी समाधान ढूढ़ने की जरूरत बताई थी।
पासवान ने कहा कि चीनी उद्योग को इस वस्तु विनिमय प्रणाली पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। प्रधानमंत्री के साथ होने वाली अगली बैठक में इस संबंध में ठोस फैसला लिया जा सकता है। सामान्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी निर्यात फायदेमंद नहीं है। भारी स्टॉक के चलते कीमतें बहुत नीचे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी 19 रुपये किलो बिक रही है, जो घरेलू बाजार में पहुंच कर 20 रुपये किलो होगी। भारत के चीनी निर्यात से कीमतें और गिर जाएंगी।
चीनी पर आयात शुल्क 40 फीसद कर देने का भी कोई फायदा नहीं मिल रहा है। चीनी का घरेलू स्टॉक एक करोड़ टन के आसपास पहुंच गया है। इससे बाजार में चीनी के दाम सतह पर आ गए हैं। ऐसे में वस्तु विनिमय प्रणाली ही इसका समाधान हो सकती है। भारत खाद्य तेलों का बहुत बड़ा आयातक है। यह आयात मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलयेशिया से होता है। वहीं, दालें कनाडा, आस्ट्रेलिया और म्यांमार से आती हैं। इन देशों को चीनी का निर्यात कर बदले में खाद्य तेल और दलहने आयात की जा सकती हैं।