एपीवाइ, पीएमएमवाइ की धीमी रफ्तार से सरकार चिंतित
गरीबों को पेंशन की सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू की गई अटल पेंशन योजना (एपीवाइ) को लेकर बैंकों के प्रदर्शन ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। तमाम उपायों के साथ सरकार इसकी रफ्तार बढ़ाने को स्वावलंबन ग्राहकों को इस योजना में शिफ्ट करने पर विचार कर रही
नितिन प्रधान, नई दिल्ली। गरीबों को पेंशन की सुविधा मुहैया कराने के उद्देश्य से शुरू की गई अटल पेंशन योजना (एपीवाइ) को लेकर बैंकों के प्रदर्शन ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। तमाम उपायों के साथ सरकार इसकी रफ्तार बढ़ाने को स्वावलंबन ग्राहकों को इस योजना में शिफ्ट करने पर विचार कर रही है। साथ ही प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाइ) की रफ्तार बढ़ाने के लिए भी 50 हजार रुपये से कम के कर्ज पर ब्याज दर में कमी भी करने का प्रस्ताव है।
प्रधानमंत्री की तरफ से दो बीमा योजनाओं और एक पेंशन योजना की शुरुआत इस साल मई में की गई थी। अटल पेंशन योजना के तहत 31 दिसंबर, 2015 तक इसमें दो करोड़ ग्राहकों को शामिल करने का लक्ष्य तय किया गया था। इसकी जिम्मेदारी सभी सरकारी बैंकों को सौंपी गई थी। लेकिन अभी तक इसमें बैंक सिर्फ 9.8 लाख ग्राहकों को ही जोड़ पाए हैं। सूत्र बताते हैं कि वित्त मंत्रलय बैंकों की इस रफ्तार को लेकर चिंतित है। सरकार इसे एक अहम योजना मान रही है। लिहाजा बैंकों का यह प्रदर्शन सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर सकता है। इन सभी मुद्दों पर सरकारी बैंकों के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली की बैठक में भी चर्चा हुई।
इसे देखते हुए अब सरकार पहले से चलती आ रही स्वावलंबन स्कीम के 18-40 आयु वर्ग के ग्राहकों को इस योजना में शिफ्ट करने पर विचार कर रही है। इसके लिए सभी बैंकों से अपने स्वावलंबन ग्राहकों से संपर्क करने को कहा गया है। साथ ही अटल पेंशन योजना में ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए बैंकों से अपने बैंकिंग करेस्पांडेंट और अन्य गैर बैंकिंग सहयोगियों को और अधिक सक्रिय बनाने के लिए उपाय करने को कहा गया है। इतना ही नहीं सरकार पेंशन योजना में ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए बैंककर्मियों को प्रति ग्राहक कमीशन देने को भी राजी है। बैंकों से इस विकल्प पर भी विचार करने को कहा गया है। जहां तक पीएमएमवाइ का सवाल है, सरकार इसकी रफ्तार को लेकर भी चिंतित है। इस साल 8 अप्रैल को शुरू हुई इस योजना के तहत 70 हजार करोड़ रुपये के कर्ज बांटने का लक्ष्य तय किया गया था। वित्त मंत्रलय के आंकड़ों के मुताबिक इस साल 13 नवंबर तक सरकारी बैंक मुद्रा योजना के तहत केवल 25,157 करोड़ रुपये के कर्ज ही वितरित कर पाए। बैंक अभी तक लक्ष्य के 36 फीसद तक ही पहुंच पाए हैं।
वित्त मंत्रलय ने बैंकों को सलाह दी है कि वे इस योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए इसके प्रचार पर ध्यान दें। बैंकों से राज्यवार लक्ष्यों में भी संशोधन करने को कहा गया है। साथ ही बैंक दर में बदलाव होने के बाद वित्त मंत्रलय का मानना है कि बैंकों को इस योजना में कम से कम शिशु कर्ज यानी 50 हजार रुपये से कम के कर्ज पर ब्याज दर को नीचे लाने की सलाह दी गई है। अभी शिशु वर्ग में कर्ज पर 9.75 फीसद से 12 फीसद तक का ब्याज लिया जा रहा है। सरकार का मानना है कि मुद्रा योजना की सफलता के लिए कर्ज देने के बाद ग्राहकों से जुड़ा रहना बैंकों के लिए बेहद जरूरी है।