'विवाद से विश्वास' योजना से टैक्स अधिकारियों का होगा मूल्यांकन, वित्त मंत्री आज पेश करेगी बिल
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज The Direct Tax Vivad Se Vishwas Bill 2020 लोकसभा में पेश करेंगी।
नई दिल्ली, एजेंसी। प्रत्यक्ष कर विवाद के मामलों को निपटाने के लिए आम बजट में पेश की गई विवाद से विश्वास योजना अब टैक्स अधिकारियों के वाषिर्षक प्रदर्शन के मूल्यांकन का आधार बनेगी। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 21 फरवरी की एक सूचना में कहा कि अधिकारियों के अप्रेजल और पोस्टिंग में इस योजना के तहत उनके प्रदर्शन की बड़ी भूमिका होगी। सीबीडीटी के मुताबिक इससे टैक्स अधिकारियों को बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज The Direct Tax Vivad Se Vishwas Bill, 2020 लोकसभा में पेश करेंगी।
Union Finance Minister Nirmala Sitharaman to move The Direct Tax Vivad Se Vishwas Bill, 2020 in Lok Sabha today. pic.twitter.com/LgSiZN6Ult
— ANI (@ANI) March 2, 2020
इनकम टैक्स कमिश्नर (सीएंडएस) राकेश गुप्ता के नाम से जारी एक मेमोरेंडम के मुताबिक टैक्स अधिकारियों को उनके खाते के 100 फीसद मामले सुलझाने का लक्ष्य दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस सूचना का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि ईमानदार करदाताओं ने टैक्स अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न की बहुत सी शिकायतें कर रखी हैं। माना जा रहा है कि इससे करदाताओं पर टैक्स अधिकारियों का उत्पीड़न बढ़ सकता है, क्योंकि वे बेहतर अप्रेजल और मनपसंद पोस्टिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा मामले सुलझाने की कोशिश करेंगे।
यह भी पढ़ें: 90 फीसद लंबित आयकर मामलों को 'विवाद से विश्वास' के तहत निपटाया जाएगा- ठाकुर
सीबीडीटी की ओर से 13 फरवरी को जारी निर्देश में फील्ड से लेकर प्रिसिंपल चीफ कमिश्नर स्तर तक के सभी टैक्स अधिकारियों से कहा गया कि वे अपने सालाना स्व--मूल्यांकन (सेल्फ अप्रेजल) में इस योजना में अपने प्रदर्शन का ब्योरा दे सकते हैं। इस दौरान टैक्स अधिकारी योजना से संबंधित मामलों की संख्या और निपटाए गए मामलों की जानकारी देंगे।
सीबीडीटी ने बताया कि कर्मचारियों का प्रदर्शन भविष्य में उनकी पोस्टिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस आम बजट में विवाद से विश्वास योजना की घोषणा की थी। इस योजना के जरिये अलग--अलग ट्रिब्यूनल और अदालतों में लंबित प्रत्यक्ष कर से संबंधित 4.83 लाख मुकदमों का बोझ कम किया जाना है। इन मुकदमों में करीब 9.32 लाख करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।
पिछले दिनों चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर--दिसंबर, 2019) के जीडीपी विकास दर के आंकड़े आए थे। इसके मुताबिक समीक्षाधीन तिमाही में विकास दर 4.7 प्रतिशत रही है, जो सात वर्षों का निचला स्तर है।