क्या आप जीवन बीमा पॉलिसी लेना चाहते हैं? कल तक का करें इंतजार
पहली अक्टूबर, 2013 के बाद से आप जरा सोच समझ कर जीवन बीमा पॉलिसी करवाएं। किसी कंपनी की पॉलिसी खरीदने से पहले यह जरूर देख लें कि उसे बीमा नियामक एजेंसी इरडा के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक मंजूरी मिली है या नहीं। दरअसल, मंगलवार से जीवन बीमा पॉलिसियों के नए दिशानिर्देश लागू हो रहे हैं। कंपनिया
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पहली अक्टूबर, 2013 के बाद से आप जरा सोच समझ कर जीवन बीमा पॉलिसी करवाएं। किसी कंपनी की पॉलिसी खरीदने से पहले यह जरूर देख लें कि उसे बीमा नियामक एजेंसी इरडा के नए दिशानिर्देशों के मुताबिक मंजूरी मिली है या नहीं। दरअसल, मंगलवार से जीवन बीमा पॉलिसियों के नए दिशानिर्देश लागू हो रहे हैं। कंपनियां अब उन्हीं पॉलिसियों की बिक्री कर सकेंगी, जिन्हें इस नए दिशानिर्देश के तहत मंजूरी मिली है। देश की लगभग दो दर्जन जीवन बीमा कंपनियों की तकरीबन 400 पॉलिसियों को नए दिशानिर्देशों के मुताबिक मंजूरी नहीं मिल पाई है।
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बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (इरडा) ने नए दिशानिर्देश लागू कर पहले ही यह कह रखा है कि एक अक्टूबर, 2013 से सिर्फ तीन तरह की पॉलिसियों की बिक्री होगी। ट्रेडिशनल बीमा प्लान (टीआइपी), वैरिएबल बीमा प्लान (वीआइपी) और यूनिट लिंक्ड बीमा प्लान (यूलिप)। टीआइपी पारंपरिक बीमा पॉलिसियां हैं, लेकिन अब पॉलिसिधारक की मृत्यु बाद आश्रितों को मिलने वाले लाभ की परिभाषा स्पष्ट कर दी गई है और डेथ कवरेज की राशि बढ़ा दी गई है। नए दिशानिर्देश के मुताबकि 45 वर्ष से कम के किसी व्यक्ति को टीआइपी के तहत सालाना प्रीमियम का कम से कम 10 गुना ज्यादा डेथ कवरेज मिलना चाहिए। इससे ज्यादा उम्र के ग्राहकों के लिए यह कवरेज सात गुना ज्यादा होनी चाहिए।
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टीआइपी के तहत ग्राहकों के रिटर्न में बदलाव तो होगा लेकिन कंपनियों को एक न्यूनतम रिटर्न की गारंटी भी देनी होगी। इस श्रेणी की पॉलिसियों का एक सूचकांक होगा जिसके आधार पर रिटर्न की गणना की जाएगी। यूलिप के तहत ग्राहकों को हर महीने यह सूचना देनी होगी कि उनकी पॉलिसी पर रिटर्न का क्या स्तर है।
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रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस के सीइओ अनुप राउ का कहना है कि नए दिशानिर्देश लागू होने के बाद जीवन बीमा कारोबार में जबरदस्त पारदर्शिता होगी। ग्राहकों के लिए विभिन्न तरह की पॉलिसियों के बीच अपनी जरूरत की पॉलिसी चुनना आसान हो जाएगा। रिलायंस लाइफ ने पारंपरिक बीमा पॉलिसियों पर ही ज्यादा ध्यान देने का फैसला किया है।
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देश की सबसे जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) इस नए बदलाव के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। दरअसल, सभी जीवन बीमा कंपनियों को अक्टूबर, 2013 से पहले ही अपनी पॉलिसियों के बारे में इरडा से आवश्यक मंजूरी ले लेनी थी कि वे नए दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। एलआइसी की कई पॉलिसियों को अभी तक इरडा से मंजूरी नहीं मिल पाई है। यही वजह है कि एलआइसी ने नियामक एजेंसी से नए दिशानिर्देशों के लागू होने की निर्धारित अवधि को बढ़ाने की गुजारिश की है। जीवन बीमा कंपनियों के परिषद ने भी कहा है कि इरडा को समय सीमा बढ़ानी चाहिए, क्योंकि अभी 400 से ज्यादा पॉलिसियों को नए दिशानिर्देशों के मुताबिक तैयार करना है।