नोटबंदी के असर का मूल्यांकन करने में लग सकते हैं कुछ और महीने: अरविंद सुब्रमण्यम
अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा है कि नोटबंदी के प्रभाव का पूर्ण मूल्यांकन करने के लिए अभी कुछ और महीनों का वक्त लग सकता है
नई दिल्ली (पीटीआई)। बीते वित्त वर्ष भारत की उच्च आर्थिक विकास दर, विशेषकर अनौपचारिक क्षेत्र पर नोटबंदी के असर को सही से प्रतिबिंबित नहीं करती है, नोटबंदी के प्रभाव का पूर्ण मूल्यांकन करने के लिए अभी कुछ और महीनों का वक्त लग सकता है। यह बात भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कही है।
उन्होंने, हालांकि यह भी कहा कि बाजार में प्रचलित 86 फीसद करेंसी को अचानक अमान्य किए जाने से दिखने वाला असर अब लगभग समाप्त हो चुका है क्योंकि बाजार में अब नई करेंसी 500 और 2000 रुपए के नोट के रुप में आ चुकी है। गौरतलब है कि भारत सरकार ने नोटबंदी का फैसला बीते साल 8 नवंबर को लिया था।
वित्त वर्ष 2016-17 के लिए 7.1 फीसद की जीडीपी ग्रोथ रेट ने सबको चौंका दिया था, जो कि जो अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 7 फीसद रही। यानी इस पर नोटबंदी का असर कम देखा गया।
अरविंद सुब्रमण्यम ने सेंट्रल फॉर ग्लोबल डिवेलपमेंट (अमेरिका का शीर्ष थिंक टैंक) में कहा, “अनौपचारिक क्षेत्र पर नोटबंदी का असर रहा है, जिसकी पहचान करना मुश्किल होगा। लेकिन मेरा मानना है कि अब इसका असर काफी हद तक कम हो गया है। यह बाजार में प्रचलित मुद्रा से संबंधित है। नकदी की वापसी हो चुकी है। जैसा कि कहा गया है, मेरा मानना है कि हेडलाइन नंबर नोटबंदी के असर की सही स्थिति बताने के लिए पर्याप्त नहीं है। मेरा मानना है कि हमें कुछ महीने और लगेंगे, तब पता चलेगा कि नोटबंदी का कैसा असर होने जा रहा है।”
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