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कोविड-19 से चालू वित्त वर्ष में (-) 9.6 फीसद पर रह सकती है भारत की आर्थिक वृद्धि दरः वर्ल्ड बैंक

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार (-) 9.6 फीसद पर रह सकती है। उसने कहा कि इस महामारी का असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर बहुत अधिक विपरीत असर देखने को मिला है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 01:56 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 03:17 PM (IST)
कोविड-19 से चालू वित्त वर्ष में (-) 9.6 फीसद पर रह सकती है भारत की आर्थिक वृद्धि दरः वर्ल्ड बैंक
इस महामारी ने दक्षिण एशिया के लाखों लोगों को अत्यंत गरीबी की ओर धकेल दिया है। (PC: ANI)

वाशिंगटन, एएनआइ। वर्ल्ड बैंक ने गुरुवार को कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से चालू वित्त वर्ष (2020-21) में भारत की अर्थव्यस्था पर मंदी की गिरफ्त और मजबूत हो सकती है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार (-) 9.6 फीसद पर रह सकती है। विश्व बैंक ने अपने छमाही अपडेट में कहा है कि दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 के विनाशकारी असर की वजह से क्षेत्र अब तक की सबसे बुरी मंदी की मार झेल सकता है। उसने कहा कि इस महामारी का असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर बहुत अधिक विपरीत असर देखने को मिला है। वहीं, इस महामारी ने दक्षिण एशिया के लाखों लोगों को अत्यंत गरीबी की ओर धकेल दिया है।

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वर्ल्ड बैंक ने 'बीटेन ऑर ब्रोकेन? इन्फॉर्मिलिटी एंड कोविड-19' शीर्षक अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में क्षेत्र की आर्थिक वृद्धि में अनुमान से ज्यादा बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है। विश्व बैंक ने वित्त वर्ष 2020-21 में वृद्धि दर में 7.7 फीसद के संकुचन का अनुमान लगाया है। 

इससे पहले आई मंदी में निवेश और निर्यात में कमी देखने को मिलती थी। इस बार निजी खपत में 10 फीसद तक की गिरावट का अनुमान है, जिससे गरीबी की दर और बढ़ सकती है। पारंपरिक तौर पर दक्षिण एशिया में निजी खपत को मांग के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और यह आर्थिक कल्याण का प्रमुख संकेतक है। 

दक्षिण एशिया क्षेत्र के लिए वर्ल्ड बैंक के वाइस प्रेसिडेंट हार्टविग स्काफर ने कहा, ''कोविड-19 की वजह से दक्षिण एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट पूर्व के अनुमान के मुकाबले बहुत ज्यादा रह सकती है। यह छोटे कारोबारियों और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए बहुत बुरी साबित हुई है....।''


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