नेपाल की तेल आपूर्ति में भारत का पत्ता काटने में जुटा चीन
ओली भारत के खिलाफ चीन कार्ड खेलने में कोताही नहीं कर रहे। चीन यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद चीन की मदद से नेपाल में तेल, गैस व अन्य खनिजों का काम शुरु किया गया है ..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली का भारत विरोध अब कोई छिपी हुई बात नहीं रह गई है। राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी की भारत यात्रा रद्द करके और नई दिल्ली से अपने राजदूत दीप कुमार उपाध्याय को बुलाना उनकी भारत विरोधी नीति का एक हिस्सा भर है। ओली भारत के खिलाफ चीन कार्ड खेलने में भी कोई कोताही नहीं कर रहे। अपनी चीन यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद जिस तरह से चीन की मदद से नेपाल में तेल, गैस व अन्य खनिजों की काम शुरु किया गया है उससे ओली सरकार की मंशा को साफ हो जाती है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक मार्च, 2016 में ओली की चीन यात्रा के दौरान नेपाल और चीन में जो द्विपक्षीय समझौते हुए थे, उनको अमल में लाने को लेकर मौजूदा सरकार काफी तेजी दिखा रही है। इस यात्रा के दौरान संयुक्त तौर पर तेल खोज का जो समझौता हुआ था उसे अब अमल में भी ला दिया गया।
रविवार को नेपाल के पश्चिम में स्थित दाइलेख जिले में चीन के विशेषज्ञों ने तेल, गैस व अन्य खनिजों की खोज भी शुरु कर दी। नेपाल के विशेषज्ञों का मानना है कि इस जिले में प्राकृतिक गैस का बड़ा भंडार है जिसे निकालने के बाद आयातित पेट्रोलियम उत्पादों पर नेपाल की निर्भरता काफी कम हो जाएगी। नेपाल और चीन के विशेषज्ञ तीन वर्षो तक यह खोज कार्य करेंगे। बताया गया है कि दाइलेख से शुरु हुआ इस खोज कार्य में देश के बाकी हिस्सों को भी धीरे धीरे जोड़ा जाएगा।
यही नहीं चीन से तेल व गैस की आपूर्ति बढ़ाने को लेकर भी चर्चा शुरु हो गई है। ओली की यात्रा के दौरान चीन ने नेपाल में तेल भंडारण के लिए ढांचागत व्यवस्था लगाने का वादा किया था। सनद रहे कि पिछले दिनों जब संविधान संशोधन पर नेपाल में मधेशी आंदोलन शुरु हुआ तो इससे भारत से वहां होने वाले तेल व गैस आपूर्ति काफी बाधित हो गई थी। तब ओली सरकार ने यह धमकी ती थी कि वह चीन से तेल व गैस लेगा। इस बारे में चीन से बात की गई और कुछ मात्रा में चीन से पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति भी की गई।
सूत्रों के मुताबिक चीन अब नेपाल में बड़ा भंडारण क्षमता लगाने को इच्छुक है। सनद रहे कि नेपाल इस समय अपनी ऊर्जा जरुरतों के लिए एक तरह से सौ फीसद भारत पर आश्रित रहता है। पीएम ओली व नेपाल के कुछ अन्य नेता कई बार भारत के बजाये चीन से ऊर्जा जरुरत को पूरा करने पर जोर देते रहे हैं। नेपाल में पेट्रोल-डीजल की भंडारण व्यवस्था करना इस रणनीति का ही हिस्सा है।
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