केयर्न इंडिया के वेदांत में विलय को हरी झंडी
केयर्न इंडिया के मूल कंपनी वेदांत में विलय को हरी झंडी मिल गई है। दोनों कंपनियों की रविवार को हुई बोर्ड की बैठक में इस आशय से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल के समूह ने कर्ज में कटौती के मकसद से नकदी संपन्न केयर्न इंडिया
मुंबई। केयर्न इंडिया के मूल कंपनी वेदांत में विलय को हरी झंडी मिल गई है। दोनों कंपनियों की रविवार को हुई बोर्ड की बैठक में इस आशय से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अरबपति उद्योगपति अनिल अग्रवाल के समूह ने कर्ज में कटौती के मकसद से नकदी संपन्न केयर्न इंडिया के विलय की तरफ कदम बढ़ाया है। शेयर अदला-बदली के जरिये 2.3 अरब डॉलर के इस सौदे से देश की सबसे बड़ी विविध प्राकृतिक संसाधनों वाली कंपनी अस्तित्व में आएगी। देश की सबसे बड़ी निजी तेल उत्पादक कंपनी केयर्न इंडिया के शेयरधारकों को एक शेयर पर एक शेयर मिलेगा। साथ ही 10 रुपये के अंकित मूल्य वाला वेदांत का 7.5 फीसद रीडीमेबल प्रिफरेंस शेयर भी मिलेगा। यह केयर्न इंडिया के शेयर के शुक्रवार के बंद भाव पर 7.3 फीसद प्रीमियम पर है।
वेदांत पर 77,752 करोड़ रुपये का कर्ज है। इसके उलट केयर्न इंडिया के पास 16,867 करोड़ रुपये की नकदी है। विलय के बाद लंदन में सूचीबद्ध मूल कंपनी वेदांत रिसोर्सेज पीएलसी की वेदांत लिमिटेड में होल्डिंग 62.9 फीसद से घटकर 50.1 फीसद हो जाएगी।
वेदांत के सीईओ टॉम अलबनीज ने कहा कि यह कॉरपोरेट स्ट्रक्चर को आसान बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है। वेदांत को पहले सेसा स्टरलाइट के नाम से जाना जाता था।
इस बहुप्रतीक्षित फैसले से अग्रवाल इंडिया-इंटीग्रेटेड रिसोर्स ग्रुप बनाने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने की दिशा में एक कदम और बढ़ गए हैं। यह कुछ रियो टिंटो या बीएचपी बिलिटन की तरह की कंपनी होगी। इस कदम को केयर्न इंडिया के 50 फीसद माइनॉरिटी शेयरधारकों की मंजूरी की जरूरत होगी।