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'उद्योगपतियों-नौकरशाहों को न बनाएं बलि का बकरा'

कोयला घोटाले में प्रमुख उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला केखिलाफ एफआइआर दर्ज होने के विरोध में अब बड़े उद्योग चैंबर भी उतर आए हैं। इस मामले की चर्चा किए बिना फिक्की ने कहा है कि काबिल नौकरशाहों और बड़े उद्योगपतियों को महज शक के आधार पर बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए।

By Edited By: Published: Fri, 18 Oct 2013 09:35 AM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 06:40 PM (IST)
'उद्योगपतियों-नौकरशाहों को न बनाएं बलि का बकरा'

नई दिल्ली। कोयला घोटाले में प्रमुख उद्योगपति कुमार मंगलम बिड़ला के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के विरोध में अब बड़े उद्योग चैंबर भी उतर आए हैं। इस मामले की चर्चा किए बिना फिक्की ने कहा है कि काबिल नौकरशाहों और बड़े उद्योगपतियों को महज शक के आधार पर बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए।

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बिड़ला और पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने तीन दिन बाद फिक्की की ओर से बयान जारी किया गया है। इसमें उद्योग चैंबर ने कहा है कि आर्थिक विकास की रफ्तार बेहतर शासन और सरकार के फैसलों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई के मुताबिक पिछले कुछ समय से कई घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिन्हें अच्छा नहीं कहा जा सकता। न केवल शीर्ष नौकरशाहों के खिलाफ मामले दर्ज हो रहे हैं, बल्कि बड़े उद्योगपतियों पर भी कार्रवाई हो रही है। जाहिर है इससे घरेलू और विदेशी दोनों स्तरों पर निवेशकों के मन में शंकाएं उत्पन्न होने लगी हैं। निवेशकों का भरोसा भी ऐसी घटनाओं से कमजोर होता है।

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किदवई के मुताबिक इस तरह की घटनाओं से सरकार और उद्योग के बीच भरोसे का तार टूटता है। इसका असर देश के कारोबारी माहौल और निवेश पर पड़ता है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि फैसले पारदर्शी तरीके से देश के विकास को देखते हुए लिए जाने चाहिए।


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