उच्च रक्तचाप से बचाव और इलाज पर सीएचसी राजापाकर में दी गयी ट्रेनिग
च्च रक्तचाप के जोखिम से समुदाय को आगाह करने और इसके इलाज के तरीकों पर विस्तृत चर्चा के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राजापाकर में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जागरण संवाददाता, हाजीपुर
उच्च रक्तचाप के जोखिम से समुदाय को आगाह करने और इसके इलाज के तरीकों पर विस्तृत चर्चा के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, राजापाकर में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
बताया गया कि उच्च रक्तचाप आनुवांशिक कारणों और आयु की वजह से हो सकता है। वहीं महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले यह रोग होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। मोटापा बढ़ने, सोडियम की मात्रा अधिक होने से, ज्यादा शराब के सेवन से या शारीरिक गतिविधि नहीं होने की वजह से इसका जोखिम बढ़ जाता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार ने की। मौके पर गैर संचारी रोग नियंत्रण कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डॉ आरके साहू वैशाली, डब्ल्यूएचओ के डॉ रणवीर चौधरी, जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ शिव कुमार रावत, डीएफवाईके मुकेश कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी प्रकाश उपाध्याय, डॉ अमरेश कुमार, डॉ सुबोध कुमार चंद्र, डॉ मनीषा आदि मौजूद थे। उच्च रक्तचाप के कारणों पर हुई चर्चा :
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया गया कि उच्च रक्तचाप की वजह से रक्त वाहिनियों में दबाव पड़ने लगता है और वॉल क्षतिग्रस्त हो जाती है या उनमें ब्लॉकेज आ जाती है। सेहतमंद रहने के लिए जरूरी है कि ब्लडप्रेशर 90 और 120 मिलीमीटर के बीच रहे। इससे ज्यादा ब्लड प्रेशर होने पर व्यक्ति हाइपरटेंशन का शिकार हो जाता है। हाइपरटेंशन कोरोनरी आर्टरी की परतों को नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से हमारे दिमाग से लेकर किडनी तक को क्षति पहुंच सकती है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में कहा गया कि 30 वर्ष से ऊपर के अस्पताल आने वाले व्यक्ति का उच्च रक्तचाप और मधुमेह जांच जरूरी है। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति का आहार कैसा हो
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बताया गया कि भोजन में नमक की मात्रा कम हो। पोटैशियम को उचित मात्रा में लेने से उच्च रक्तचाप का स्तर अच्छा हो जाता है। इसके अलावा आहार में फल जैसे केला, संतरा, नाशपाती, टमाटर, सूखे मटर, बादाम और आलू अवश्य शामिल करें क्योंकि इनमे पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है। चिकनाई या फैट वाला खाना कम मात्रा में खाएं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में टीबी की रोकथाम पर भी चर्चा हुई। जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी ने मौके पर यक्ष्मा की रोकथाम पर भी चर्चा की। कहा कि दो सप्ताह से अधिक खांसी हो तो निश्चित रूप से बलगम की जांच करवानी चाहिए, ताकि बीमारी तुरंत पकड़ में आ सके।